Ahoi Ashtami 2025: कब है अहोई अष्टमी व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत इस साल 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं। जानिए अहोई अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 12 October 2025, 9:06 AM IST
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New Delhi: अहोई अष्टमी(Ahoi Ashtami) का व्रत हिंदू धर्म में माताओं के लिए अत्यंत पूजनीय माना गया है। यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन अहोई माता की आराधना करने से संतान की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अहोई माता को देवी पार्वती का ही रूप माना जाता है जो संतान की रक्षा करती हैं।

कब है अहोई अष्टमी 2025 में? (When is Ahoi Ashtami in 2025?)

पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी(Ahoi Ashtami)  व्रत इस साल सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। इस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रात 12:14 से शुरू होकर अगले दिन 14 अक्टूबर सुबह 11:09 तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 से 7:08 बजे तक रहेगा और तारों को देखने का समय शाम 6:17 बजे तक रहेगा। इस बार अहोई अष्टमी पर शिव योग, सिद्ध योग, परिघ योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो व्रत के फल को और अधिक शुभ बनाता है।

Ahoi Ashtami 2025

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व्रत की विधि और पूजन प्रक्रिया

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन माताएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे दिन भोजन या जल ग्रहण नहीं करतीं। शाम के समय शुभ मुहूर्त में अहोई माता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा की जाती है। पूजा में चांदी की अहोई, सेही (स्याहू) और उनके बच्चों का चित्र बनाकर आराधना की जाती है। तारे दिखाई देने के बाद माताएं जल अर्पित करती हैं और व्रत का पारायण करती हैं।

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अहोई अष्टमी की कथा (Ahoi Ashtami)

पौराणिक कथा के अनुसार एक स्त्री जंगल में मिट्टी खोदते समय अनजाने में सेही (स्याहू) के बच्चे को मार देती है। दुखी होकर सेही उसे और उसकी संतान को मृत्यु का श्राप देती है। तब वह स्त्री अहोई माता की पूजा कर क्षमा मांगती है। माता की कृपा से उसका पुत्र पुनः जीवित हो जाता है। तबसे अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाने लगा।

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मां के प्रेम और आस्था का प्रतीक

अहोई अष्टमी केवल धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि मां के प्रेम और समर्पण की भावना का प्रतीक है। इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, उज्ज्वल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इसलिए यह पर्व मातृत्व, श्रद्धा और पारिवारिक बंधन को मजबूत करने वाला पवित्र अवसर माना जाता है।

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  • 12 October 2025, 9:06 AM IST