रमा एकादशी 2025: भगवान विष्णु की उपासना से मिलती अपार कृपा, जानें इस व्रत का महत्व

कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी व्रत 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, रमा एकादशी व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 17 October 2025, 2:32 PM IST

New Delhi: आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ रमा एकादशी व्रत मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इसे भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर एक हजार अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी की तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10:35 बजे शुरू हुई थी और 17 अक्टूबर को सुबह 11:12 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि 17 अक्टूबर को होने के कारण आज ही व्रत रखा जा रहा है।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी व्रत

  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक
  • अमृत काल मुहूर्त: सुबह 11:26 बजे से दोपहर 01:07 बजे तक
  • पारण का समय: 18 अक्टूबर को सुबह 06:24 से 08:41 बजे तक रहेगा

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पूजा विधि

  • व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान कर पीले या सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें चंदन, तुलसी पत्र, पुष्प, मेवा और दीप अर्पित करें। इसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें कमल या गुलाब के फूल अर्पित करें।
  • पूजा के बाद रमा एकादशी व्रत कथा सुनना और भगवान विष्णु-लक्ष्मी की आरती करना शुभ माना गया है। पूजा के अंत में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जप करें। अगले दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान देने के बाद व्रत का पारण करें।

रमा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मुचुकुंद नामक धर्मात्मा राजा थे जो युद्ध और पाप कर्मों से मुक्ति पाना चाहते थे। एक दिन उनके दरबार में देवर्षि नारद आए और उन्होंने राजा को रमा एकादशी व्रत का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह व्रत भगवान विष्णु और देवी रमा (लक्ष्मी) को प्रसन्न करने वाला है और इससे व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
राजा मुचुकुंद ने श्रद्धा भाव से यह व्रत किया और इसके प्रभाव से न केवल पापों से मुक्त हुए बल्कि स्वर्ग लोक की प्राप्ति भी की।

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रमा एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार रमा एकादशी व्रत से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी स्वयं भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
यह व्रत जीवन से नकारात्मक ऊर्जा, पाप और दुखों को दूर कर सुख-शांति लाता है। इसलिए इसे लक्ष्मी प्रसन्न एकादशी भी कहा जाता है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 17 October 2025, 2:32 PM IST