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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को विदेशी कुशल कामगारों की जरूरत है। उन्होंने माना कि देश केवल बेरोजगारों पर निर्भर रहकर उद्योग और टेक्नोलॉजी में आगे नहीं बढ़ सकता। H-1B वीजा नीति में भी बड़े बदलाव किए गए हैं।
ट्रंप का बदला रुख (Img source: Google)
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अब तक विदेशी कामगारों पर सख्त बयान देते रहे हैं, ने अब अपने रुख में नरमी दिखाई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपनी इंडस्ट्री, रक्षा और टेक्नोलॉजी सेक्टर में विदेशी कुशल लोगों की जरूरत है। ट्रंप ने स्वीकार किया कि सिर्फ स्थानीय बेरोजगारों पर निर्भर रहकर अमेरिका आगे नहीं बढ़ सकता।
एक अमेरिकी चैनल को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “मैं मानता हूं कि हमें अमेरिकी मजदूरों की तनख्वाह बढ़ानी चाहिए, लेकिन साथ ही हमें कुशल टैलेंट को भी लाना होगा। अमेरिका को दुनिया में तकनीकी रूप से आगे बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को जटिल तकनीकी कामों के लिए तुरंत प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता। “हर बेरोजगार को आप यह नहीं कह सकते कि चलो, अब मिसाइल बनाना सीखो। इसके लिए वर्षों का अनुभव और स्किल चाहिए,” ट्रंप ने जोड़ा।
H-1B वीजा नीति में बड़ा बदलाव
ट्रंप सरकार ने हाल ही में H-1B वीजा नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए आदेश के तहत वीजा आवेदन की फीस 1,500 डॉलर से बढ़ाकर 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) कर दी गई है। यह बदलाव 21 सितंबर 2025 के बाद दाखिल किए गए सभी नए आवेदन या 2026 की वीजा लॉटरी में भाग लेने वालों पर लागू होगा।
हालांकि, पहले से वीजा धारक या जिनके आवेदन पहले ही जमा हो चुके हैं, वे इस नए नियम से प्रभावित नहीं होंगे।
ट्रंप ने बताया कि जॉर्जिया राज्य की एक ह्युंडई बैटरी फैक्ट्री में जब दक्षिण कोरिया से आए कुशल मजदूरों को वापस भेजा गया, तो उत्पादन रुक गया। उन्होंने कहा, “बैटरियां बनाना आसान नहीं है। यह जटिल और जोखिम भरा काम है। कोरियाई कर्मचारी न केवल इसमें माहिर थे बल्कि अमेरिकी कर्मचारियों को सिखा भी रहे थे। उनके जाने से फैक्ट्री का संचालन ठप हो गया।”
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यह बयान ट्रंप की पूर्व नीतियों से बिल्कुल अलग माना जा रहा है। पहले वे विदेशी कामगारों को अमेरिकी रोजगार के लिए खतरा बताते थे। लेकिन अब उन्होंने खुद माना है कि कई उद्योगों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने में वर्षों लगेंगे, इसलिए विशेषज्ञ विदेशी कर्मचारियों की मदद जरूरी है।