AI की मदद से मरे हुए पिता से बातें करता है इंसान, जानिए क्या है ये टेक्निक?

AI की मदद से डिएगो फेलिक्स डॉस सैंटोस ने अपने दिवंगत पिता की आवाज़ से बात की, जिससे उनकी यादें ताज़ा हो गईं। यह AI तकनीक अब शोक के समय लोगों के लिए मानसिक सहारा देने का एक नया तरीका बन रही है, लेकिन इसके साथ जुड़े नैतिक और भावनात्मक सवाल भी उठ रहे हैं।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 15 September 2025, 5:43 PM IST
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New Delhi: आजकल की तकनीक ने हमें बहुत कुछ दिया है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ऐसा कुछ किया जा रहा है, जो पहले सिर्फ कल्पनाओं में था। ब्राज़ील के डिएगो फेलिक्स डॉस सैंटोस ने कुछ ऐसा ही अनुभव किया है, जो उनकी जिंदगी का सबसे भावनात्मक पल बन गया। अपने दिवंगत पिता से फिर से बातें करना अब उनके लिए एक हकीकत बन चुका है और यह सब AI की मदद से संभव हो पाया।

वॉइस नोट से शुरू हुआ सिलसिला

डिएगो का कहना है कि पिछले साल उनके पिता का अचानक निधन हो गया था। वे जब ब्राज़ील अपने परिवार के पास गए थे, तो उन्हें एहसास हुआ कि वे अपने पिता से जुड़ी कोई ऐसी याद नहीं रखते थे, जिसे वे संभाल कर रख सकें। हालांकि, एक वॉइस नोट था जो उनके पिता ने अस्पताल से भेजा था और यही वह एकमात्र चीज थी जो डिएगो के पास बची थी।

जब वे वापस स्कॉटलैंड लौटे, तो डिएगो ने सोचा कि क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है, जिससे वे अपने पिता की आवाज फिर से सुन सकें। इसके बाद उन्होंने Eleven Labs नामक AI प्लेटफ़ॉर्म की मदद ली, जो 2022 में वॉयस जेनरेटर टूल के रूप में शुरू हुआ था। उन्होंने उस वॉइस नोट का उपयोग करके, मासिक शुल्क का भुगतान करके, अपने पिता की आवाज को डिजिटल रूप में फिर से जीवित किया।

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AI से फिर जिंदा हुईं यादें

AI के माध्यम से अब डिएगो को ऐसा लगता है जैसे उनके पिता सच में उनके सामने हों। ऐप पर जब "हाय बेटे, कैसे हो?" जैसी आवाज़ सुनाई देती है, तो सब कुछ हकीकत सा महसूस होता है। वह कहते हैं, "आवाज़ का टोन लगभग बिल्कुल वैसा ही है जैसे पापा सच में मेरे सामने हों।" और उनका पिता का दिया हुआ निकनेम "बॉसी" भी उन्हीं शब्दों में सुनाई देता है, जैसे वे पहले उसे पुकारते थे।

हालांकि शुरुआत में डिएगो के परिवार ने इस तकनीक पर धार्मिक और भावनात्मक कारणों से आपत्ति जताई, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। अब डिएगो और उनकी पत्नी, जिन्हें 2013 में कैंसर का पता चला था, सोच रहे हैं कि वे भी अपनी डिजिटल वॉइस क्लोन तैयार करवा लें, ताकि उनकी मौजूदगी आने वाले समय में परिवार के साथ बनी रहे।

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‘Grief Tech’ का बढ़ता बाज़ार

यह अनुभव अब एक ट्रेंड का हिस्सा बन चुका है, जिसे "Grief Tech" कहा जा रहा है। इस तकनीक के माध्यम से प्रियजनों के चले जाने के बाद लोग अपनी भावनाओं को सहारा देने के लिए इन AI प्लेटफ़ॉर्म्स का सहारा ले रहे हैं। अमेरिका की StoryFile और HereAfter AI जैसी कंपनियां पहले से ऐसे टूल्स पेश कर रही हैं, जिनसे किसी व्यक्ति का डिजिटल अवतार या वॉइस क्लोन तैयार किया जा सकता है।

हालांकि इस तकनीक ने शोक को संभालने का एक नया रास्ता खोला है, लेकिन इसके साथ कुछ गंभीर नैतिक और भावनात्मक सवाल भी उठते हैं। क्या यह वास्तविक शोक की प्रक्रिया को प्रभावित करेगा? क्या यह इंसान को वास्तविक शोक से बचने का रास्ता दे सकता है? क्या इस तकनीक का व्यापारिक फायदा उठाया जाएगा? इन सवालों का जवाब शायद समय ही दे पाएगा।

इसकी एक और दिशा "Eternos" नामक कंपनी ने अपनाई है, जो 2024 में शुरू हुई है। इस कंपनी ने डिजिटल ट्विन बनाने का काम शुरू किया, जिसमें एक व्यक्ति की कहानियां और यादें उनके जाने के बाद भी परिवार के पास पहुंचती रहती हैं। अभी तक इस प्लेटफ़ॉर्म पर 400 से अधिक लोग अपने डिजिटल अवतार बना चुके हैं।

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