

अमेरिका और चीन के बढ़ते तनाव के बीच पेंटागन ने अपनी सैन्य तैयारियों को तेज करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्रालय ने प्रमुख मिसाइल निर्माताओं से 12 अहम हथियार प्रणालियों के उत्पादन को दोगुना या चौगुना करने के लिए कहा है।
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Washington: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब पेंटागन ने अपनी सैन्य तैयारियों को और तेज कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने देश के प्रमुख मिसाइल निर्माताओं से कहा है कि वे 12 अहम हथियार प्रणालियों के उत्पादन को दोगुना या चौगुना करें। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी भी संभावित टकराव की स्थिति में अमेरिका के पास पर्याप्त हथियार और संसाधन उपलब्ध हों।
पेंटागन ने उत्पादन लक्ष्य हासिल करने के लिए म्यूनिशन एक्सेलेरेशन काउंसिल का गठन किया है। डिप्टी डिफेंस सेक्रेटरी स्टीव फाइनबर्ग नियमित रूप से रक्षा कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक कर रहे हैं। इस रणनीति का उद्देश्य है कि अगले 6, 18 और 24 महीनों में हथियार उत्पादन को वर्तमान स्तर से 2.5 गुना तक बढ़ाया जाए।
इस योजना के तहत जिन हथियारों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, उनमें पैट्रियट इंटरसेप्टर, लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल, स्टैंडर्ड मिसाइल-6, प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल और जॉइंट एयर-सर्फेस स्टैंडऑफ मिसाइल शामिल हैं। खासतौर पर पैट्रियट इंटरसेप्टर के लिए पेंटागन ने सालाना करीब 2,000 यूनिट्स बनाने का लक्ष्य रखा है, जो मौजूदा उत्पादन दर से लगभग चार गुना अधिक है। इन हथियारों को आधुनिक युद्ध में अमेरिका की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में अहम माना जाता है।
पेंटागन का चौंकाने वाला फैसला
हालांकि, हथियार उत्पादन बढ़ाना आसान नहीं है। रक्षा कंपनियों को अतिरिक्त वित्तीय सहयोग और पेंटागन की ओर से लंबी अवधि की खरीद प्रतिबद्धता की जरूरत होगी। मिसाइल निर्माण में जटिल तकनीकी प्रक्रिया और उच्च लागत शामिल होती है।
साथ ही नई आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने में कई महीने और करोड़ों डॉलर खर्च हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पेंटागन कंपनियों को पर्याप्त सहयोग नहीं देता तो उत्पादन लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
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दूसरी तरफ चीन ने अपनी रणनीतिक खनिज सामग्री पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है। हाल ही में वहां आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर एंटीमोनी जैसे खनिजों की तस्करी का आरोप है। एंटीमोनी का इस्तेमाल उच्च प्रदर्शन वाले हथियारों और रक्षा उपकरणों में होता है।
चीन ने दिसंबर 2024 में अमेरिका को गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमोनी के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन खनिजों की कीमतों में भारी उछाल आया और अमेरिकी रक्षा उद्योग पर दबाव बढ़ गया।
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अमेरिका और चीन के बीच इस बढ़ते तनाव का असर वैश्विक स्तर पर भी देखा जा रहा है। एक तरफ अमेरिका हथियार उत्पादन बढ़ाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है, वहीं चीन महत्वपूर्ण खनिजों पर नियंत्रण रखकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में यह खींचतान न केवल दोनों देशों की सैन्य रणनीति को प्रभावित करेगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और रक्षा बाजार पर भी गहरा असर डालेगी।
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