

एक वार्षिक सिक्योरिटी फोरम में अमेरिका के पेंटागन चीफ पीट हेगसेथ ने चीन को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
पेंटागन चीफ पीट हेगसेथ (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े सैन्य और रणनीतिक मंचों में से एक वार्षिक सिक्योरिटी फोरम में अमेरिका के पेंटागन चीफ पीट हेगसेथ ने चीन को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन एशिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए बड़े सैन्य हमले की तैयारी कर रहा है। इस खतरनाक रणनीति का पहला निशाना ताइवान हो सकता है।
हेगसेथ ने कहा कि चीन सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर नियंत्रण चाहता है। उन्होंने कहा, “चीन हर दिन युद्ध की तैयारी कर रहा है। उसका लक्ष्य ताइवान पर कब्जा करना है, और इसके लिए वह अपनी सैन्य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है।”
एशियाई देशों को चेतावनी
हेगसेथ ने भारत समेत एशिया के तमाम देशों को आगाह किया कि वे चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को हल्के में न लें। उन्होंने कहा कि सभी देशों को अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी चाहिए और आधुनिक सैन्य तकनीक से अपनी सेनाओं को सुसज्जित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “चीन से मुकाबला करने के लिए अमेरिका, जापान, फिलीपीन्स और भारत के साथ मिलकर सैन्य साझेदारी को मजबूत कर रहा है।”
ट्रंप की नीतियों का जिक्र
पीट हेगसेथ ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन को लेकर सख्त नीतियों का भी समर्थन किया। उन्होंने बताया कि ट्रंप ने सत्ता में आते ही चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर शुरू किया था और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक तक उसकी पहुंच को सीमित करने की कोशिश की थी।
साइबर हमले और समुद्री विवाद पर चिंता
पेंटागन प्रमुख ने चीन की साइबर गतिविधियों और पड़ोसी देशों को धमकाने की नीति को गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि चीन बार-बार साइबर हमले करता है और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित जलमार्गों पर दावा करता है।
हेगसेथ ने बताया कि ये वही क्षेत्र हैं जहां से वैश्विक समुद्री व्यापार का 60% हिस्सा गुजरता है। हाल के महीनों में चीन और फिलीपीन्स के बीच इस क्षेत्र में कई बार टकराव हो चुका है।
युद्धाभ्यास और चीन की चुप्पी
इसी बीच जब सिंगापुर में चीन के संभावित खतरे पर चर्चा हो रही थी, तभी चीन की नेवी और एयरफोर्स ने फिलीपीन्स के पास विवादित क्षेत्र में युद्धाभ्यास शुरू कर दिया। यह कदम अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है।