नेताओं की पिटाई और पीएम ओली का इस्तीफा, 48 घंटे में हिली नेपाल की सियासत, प्लानिंग के तहत हुई हिंसा या थी साजिश?

नेपाल में प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद राजनीतिक संकट गहराया है। प्रदर्शनकारियों ने संसद और नेताओं के घरों में आग लगाई। सोशल मीडिया बैन हटने के बावजूद आंदोलन जारी है। सेना ने कमान संभाल ली है, जबकि भारत के उत्तराखंड में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 10 September 2025, 8:11 AM IST
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Kathmandu: नेपाल में लगातार दो दिनों तक चले भारी बवाल ने देश को राजनीतिक संकट की ओर धकेल दिया है। मंगलवार, 9 सितंबर को भी सरकार विरोधी प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों पर धावा बोलते हुए संसद भवन और कई शीर्ष नेताओं के घरों में आग लगा दी। इसी बीच, प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देश में नेतृत्वहीनता और अराजकता की स्थिति बन गई। अब नेपाल की कमान सेना के हाथों में है और अंतरिम सरकार के लिए नए चेहरों की तलाश जारी है।

नेपाल में 48 घंटे में बढ़ा जनाक्रोश

सोमवार देर रात नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया था, लेकिन तब तक आंदोलन उग्र हो चुका था। पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत हुई, जिससे जनाक्रोश और बढ़ गया। प्रदर्शन का केंद्र भ्रष्टाचार और राजनीतिक असंवेदनशीलता के खिलाफ जनता का गुस्सा बन गया है।

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नेपाल की सियासत संकट में

प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद एक बयान जारी करते हुए देशवासियों से शांति और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, 'मैं प्रदर्शनकारी नागरिकों सहित सभी से देश की कठिन परिस्थितियों के शांतिपूर्ण समाधान में सहयोग करने का आग्रह करता हूं।'

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बावजूद इसके, कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ जारी रखी। संसद भवन में आग लगाने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। वहीं, नेपाल की तीन प्रमुख जेलों से कैदी भाग गए। नक्खू जेल से पूर्व गृहमंत्री रवि लामीछाने को प्रदर्शनकारियों ने आजाद करवा दिया।

ऐसे शुरू हुआ था विरोध

प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों के नेतृत्व में हुई थी। ‘जेन जी’ नाम से सोशल मीडिया पर शुरू हुआ विरोध अभियान, सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ था। धीरे-धीरे यह आंदोलन व्यापक रूप ले गया। इसमें ओली सरकार पर भ्रष्टाचार, जनता की उपेक्षा और राजनीतिक अभिजात वर्ग के विलासी जीवनशैली के आरोप लगाए गए। सोशल मीडिया पर बैन हटाने के बावजूद, लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और हिंसक प्रदर्शन तेज होते गए।

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उत्तराखंड में भी अलर्ट जारी

नेपाल की स्थिति को देखते हुए भारत के उत्तराखंड में भी अलर्ट जारी कर दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीमावर्ती जिलों चंपावत, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर के प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने सीमा पर निगरानी और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

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