

भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले एक साल से तनाव में थे। अब NSA स्तर की बातचीत ने दोनों देशों को फिर से करीब लाने और भरोसा बहाल करने की दिशा में नई उम्मीद जगाई है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में पिघली बर्फ
Ottawa: भारत और कनाडा के रिश्ते हमेशा से ही आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा सहयोग पर आधारित रहे हैं। लेकिन पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक बयान ने इन संबंधों में गंभीर दरार डाल दी थी। ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें पूरी तरह निराधार और बेतुका बताया।
कनाडा की खुफिया एजेंसी से जुड़ी दो वरिष्ठ अधिकारी नथाली ड्रोइन और डेविड मॉरिसन ने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को जानकारी लीक करते हुए भारत के गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया था कि वे कनाडा में मौजूद अलगाववादियों को निशाना बना रहे हैं।
भारत–कनाडा संबंधों में सुधार
इस दावे ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और गहरा कर दिया। नतीजतन, व्यापारिक और कूटनीतिक संवाद लगभग रुक गया और बयानबाज़ी ने माहौल को और बिगाड़ा।
2025 में हालात बदलते दिखे जब कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर नथाली ड्रोइन और उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन भारत आए। यहां उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। यह बैठक औपचारिक बातचीत से कहीं आगे बढ़कर रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करने की गंभीर कोशिश साबित हुई।
बैठक के दौरान सुरक्षा, ऊर्जा और व्यापार सहयोग पर प्राथमिकता के साथ चर्चा हुई। भारत ने स्पष्ट कहा कि कनाडा को खालिस्तानी उग्रवाद पर सख्त कदम उठाने होंगे और वहां शरण लिए बैठे आतंकवादियों के प्रत्यर्पण पर ठोस कार्रवाई करनी होगी। इसके जवाब में कनाडा ने खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत करने का आश्वासन दिया।
Canada: जस्टिन ट्रूडो के बदले सुर, भारत के साथ ‘करीबी संबंधों’ को लेकर प्रतिबद्ध है कनाडा
इस बातचीत ने दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक माहौल तैयार किया है। भारत और कनाडा के बीच यह मुलाकात केवल सुरक्षा सहयोग तक सीमित नहीं रही, बल्कि ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में भी नए अवसरों पर चर्चा हुई। अगर दोनों देश इस दिशा में आगे बढ़ते हैं तो व्यापारिक रिश्तों को नई गति मिल सकती है।