

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद गहराता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद भी भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने ऊर्जा हितों से समझौता नहीं करेगा। भारत सितंबर में रूस से तेल आयात बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
Washington: भारत और अमेरिका के बीच जारी आर्थिक तनाव अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। ट्रंप ने यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने पर उठाया है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें प्राथमिकता पर हैं और किसी भी दबाव में रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया जाएगा।
एक मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सितंबर महीने में रूस से क्रूड ऑयल आयात बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी की ओर से अगस्त की तुलना में रूसी तेल की खरीद 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सीधा मतलब है कि रोजाना डेढ़ से तीन लाख बैरल अतिरिक्त तेल का आयात होगा। यह फैसला साफ दिखाता है कि भारत अमेरिकी टैरिफ को दरकिनार करते हुए अपने ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। अमेरिका और यूरोपीय देश रूस से सीधे आयात पर पाबंदी लगाते हैं, लेकिन भारत ने रियायती दरों पर तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत कम की है। अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि भारत इस रियायती दर से मुनाफा कमा रहा है। वहीं, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पश्चिमी देश खुद रूस के साथ अरबों डॉलर का व्यापार कर रहे हैं और भारत को निशाना बनाना दोहरे मापदंड का उदाहरण है।
अमेरिकी टैरिफ के दबाव को किया नजरअंदाज
ट्रंप के इस फैसले की आलोचना अमेरिका के भीतर भी हो रही है। अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के डेमोक्रेट सदस्यों ने कहा है कि भारत पर टैरिफ लगाकर उसे निशाना बनाना गलत है, जबकि चीन जैसे बड़े खरीदार पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उनका कहना है कि यह निर्णय भारत-अमेरिका संबंधों को कमजोर करेगा और द्विपक्षीय व्यापार को नुकसान पहुंचाएगा।
भारत लगातार यह संदेश देता रहा है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें किसी भी बाहरी दबाव से अधिक महत्वपूर्ण हैं। रूस से तेल आयात ने भारत को न केवल अपनी घरेलू मांग पूरी करने में मदद की है, बल्कि महंगाई को काबू में रखने में भी अहम भूमिका निभाई है। यही वजह है कि भारत अमेरिका की नाराजगी झेलने के बावजूद रूसी तेल आयात बढ़ाने पर अडिग है।
ट्रंप का टैरिफ निर्णय भारत पर दबाव बनाने की कोशिश है, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि भारत अपने हितों से समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। रूस से तेल आयात में बढ़ोतरी न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को भी और स्पष्ट रूप से सामने लाएगी।