

भारत और जापान की साझेदारी अब सिर्फ अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन तक सीमित नहीं रहेगी। दोनों देश मिलकर ई10 शिंकानसेन ट्रेन का संयुक्त निर्माण कर सकते हैं। इस परियोजना से भारत में तेज रफ्तार परिवहन और दोनों देशों के आर्थिक-रणनीतिक रिश्तों को नई मजबूती मिलेगी।
पीएम मोदी का जापान दौरा
Tokyo: भारत और जापान के रिश्ते एक नए मुकाम पर पहुंचने वाले हैं। दोनों देश मिलकर अब सिर्फ अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेलवे परियोजना तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि ई10 शिंकानसेन बुलेट ट्रेन के संयुक्त निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान इस समझौते की औपचारिक घोषणा संभव है। यह सहयोग भारत और जापान के आर्थिक व रणनीतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई देगा।
पिछले चार दशकों में भारत-जापान साझेदारी ने कई बड़े बदलाव देखे हैं। मारुति-सुजुकी इसका बड़ा उदाहरण है, जिसने भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी। अब उसी तरह ई10 शिंकानसेन प्रोजेक्ट भारतीय परिवहन क्षेत्र को नई दिशा दे सकता है।
शुरुआत में भारत को ई5 शिंकानसेन ट्रेन मिलने वाली थी, जिसकी अधिकतम रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा है। लेकिन पीएम मोदी की सक्रिय भूमिका और जापानी नेतृत्व के साथ उनके मजबूत रिश्तों की वजह से अब भारत को ई10 शिंकानसेन मिल सकता है। यह ट्रेन 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक दौड़ सकती है। इसका डिजाइन जापान की ALFA-X प्रायोगिक ट्रेन से लिया गया है, जिसमें अत्याधुनिक सुरक्षा फीचर्स और ऊर्जा दक्षता पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह नई तकनीक भारत के लिए भविष्य की परिवहन जरूरतों को पूरा करने का बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
ई10 शिंकानसेन (Img: Google)
भारत-जापान सहयोग से बन रही अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल परियोजना की लंबाई 508 किलोमीटर है। हालांकि यह प्रोजेक्ट कई बार देरी का शिकार हुआ है, जिससे इसकी लागत बढ़ गई है। इसके बावजूद जापान इस परियोजना को लेकर प्रतिबद्ध है। उम्मीद है कि गुजरात में पहले 50 किलोमीटर का संचालन 2027 तक शुरू हो जाएगा, जबकि पूरी लाइन 2029 तक चालू हो सकती है। ई10 शिंकानसेन तकनीक के जुड़ने से न केवल भारत में बुलेट ट्रेन नेटवर्क को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भविष्य में तीसरे देशों को भी इन ट्रेनों की आपूर्ति की संभावना बनेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा 29 अगस्त को टोक्यो में वार्षिक शिखर सम्मेलन में मिलेंगे। इसके बाद दोनों नेता शिंकानसेन से सेंडाई की यात्रा करेंगे और वहां एक सेमीकंडक्टर संयंत्र का दौरा करेंगे। यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि जापान भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर बेहद गंभीर है।