

उत्तर प्रदेश की राजधानी में STF ने एक बार फिर नशे के सौदागरों पर करारा प्रहार किया है। नेपाल से यूपी के गोरखपुर तक फैले चरस तस्करी के इंटरनेशनल नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए, STF ने दो कुख्यात तस्करों को धर दबोचा।
STF की सर्जिकल स्ट्राइक
Gorakhpur : उत्तर प्रदेश की राजधानी में STF ने एक बार फिर नशे के सौदागरों पर करारा प्रहार किया है। नेपाल से यूपी के गोरखपुर तक फैले चरस तस्करी के इंटरनेशनल नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए, STF ने दो कुख्यात तस्करों को धर दबोचा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, इनके कब्जे से 1.540 किलो चरस (कीमत करीब 10 लाख रुपये), नकदी, आधार कार्ड और मोबाइल फोन बरामद हुए। हैरानी की बात यह है कि इस तस्करी का तार नेपाल की वीरगंज जेल से जुड़ा हुआ है, जहां से इस काले धंधे की साजिश रची गई।
मनीष तिवारी: गोरखपुर जनपद के ख़जनी थाना क्षेत्र रकौली गांव का रहने वाला, जिसके पिता संतोश तिवारी नेपाल की जेल में बंद हैं।सुधीर पांडेय: बिहार के सारण जिले का निवासी, जेल में बनी दोस्ती ने बनाया तस्कर।कहां और कैसे हुआ ऑपरेशन?8 जुलाई 2025 की रात 8:15 बजे, लखनऊ के शहीद पथ सर्विस रोड पर विराज टावर से महज 50 मीटर की दूरी पर STF ने अपना जाल बिछाया।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट अनुसार मुखबिर की पुख्ता सूचना पर उपनिरीक्षक जावेद आलम के नेतृत्व में टीम ने तस्करों को घेर लिया। इस ऑपरेशन में मुख्य आरक्षी कबिन्द्र साहनी, मृत्युंजय सिंह, यशवंत सिंह और चालक सुभाष चंद्र ने अहम भूमिका निभाई। तस्करों के पास से बरामद चरस की खेप नेपाल से कानपुर होते हुए गोरखपुर ले जाई जा रही थी।जेल से रची गई साजिशपूछताछ में तस्करों ने चौंकाने वाला खुलासा किया। मनीष तिवारी के पिता संतोश तिवारी और सुधीर पांडेय की मुलाकात नेपाल की वीरगंज जेल में हुई थी। वहां उनकी दोस्ती संजीत शाह नाम के एक नेपाली तस्कर से हुई, जो यूपी में चरस की सप्लाई का मास्टरमाइंड है।
जेल से रिहा होने के बाद संतोश के इशारे पर मनीष और सुधीर ने चरस तस्करी का धंधा शुरू किया। उनकी योजना 10 किलो चरस की डील करने की थी, लेकिन पैसे की कमी ने उन्हें 1.540 किलो की खेप तक सीमित कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 10 लाख रुपये।1,550 रुपये नकद: तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाली रकम।1 आधार कार्ड: तस्करों की पहचान का सबूत।2 मोबाइल फोन: नेटवर्क से जुड़े अहम सुराग।STF की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’STF लंबे समय से नेपाल-यूपी ड्रग तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। मुखबिर के इनपुट और तेज-तर्रार कार्रवाई ने इस इंटरनेशनल गिरोह की कमर तोड़ दी। NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए STF ने तस्करों को सलाखों के पीछे भेज दिया।
यह ऑपरेशन यूपी में नशे के खिलाफ चल रही मुहिम में मील का पत्थर साबित हुआ है।क्यों खास है यह कार्रवाई?इंटरनेशनल कनेक्शन उजागर: नेपाल से यूपी तक फैला नेटवर्क बेनकाब।
वीरगंज जेल में रची गई साजिश का पर्दाफाश।नशे पर प्रहार: युवाओं को नशे की दलदल में धकेलने की कोशिश नाकाम।STF की इस धमाकेदार कार्रवाई ने न केवल तस्करों के मंसूबों पर पानी फेरा, बल्कि यह भी साबित किया कि यूपी में नशे के सौदागरों के लिए कोई जगह नहीं। अब सवाल यह है कि क्या इस काले कारोबार के और भी बड़े सरगना STF के रडार पर हैं?