

कई एयरपोर्ट्स पर साइबर अटैक की घटना सामने आई। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमास समर्थकों ने सिस्टम हैक कर धमकी भरे वीडियो चलाए। पेंसिल्वेनिया और ब्रिटिश कोलंबिया के एयरपोर्ट्स पर यह घटना हुई, जिससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
अमेरिका-कनाडा एयरपोर्ट्स पर साइबर वार
Washington: अमेरिका और कनाडा में मंगलवार (14 अक्टूबर) को एयरपोर्ट्स पर अचानक अफरातफरी मच गई जब कई जगहों पर स्क्रीन और स्पीकर्स से “हमास जिंदाबाद” और “फ्री फिलिस्तीन” के नारे गूंजने लगे। यह घटना साइबर हैकिंग से जुड़ी बताई जा रही है, जिसने दोनों देशों की साइबर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला पेंसिल्वेनिया के हैरिसबर्ग एयरपोर्ट और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित केलोना एयरपोर्ट से शुरू हुआ। एयरपोर्ट्स पर लगे डिजिटल स्क्रीन अचानक ब्लैक होकर धमकी भरे मैसेज और वीडियो क्लिप्स दिखाने लगे। उसी वक्त एयरपोर्ट परिसर में लगे स्पीकर्स से हमास समर्थक नारे सुनाई देने लगे।
हैरिसबर्ग एयरपोर्ट के प्रवक्ता स्कॉट मिलर ने पुष्टि की कि यह घटना साइबर अटैक का परिणाम थी। उन्होंने बताया कि किसी अनजान यूजर ने एयरपोर्ट की पब्लिक सिस्टम नेटवर्क में सेंध लगाई थी। जैसे ही असामान्य गतिविधि का पता चला, सिस्टम को तुरंत शटडाउन कर दिया गया ताकि यात्रियों की सुरक्षा पर असर न पड़े।
कनाडा के केलोना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रशासन ने भी घटना की जांच शुरू कर दी है। एयरपोर्ट अथॉरिटीज ने बताया कि फिलहाल सभी सिस्टम्स को सुरक्षित मोड में डाल दिया गया है और किसी भी यात्री की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी लीक नहीं हुई है।
Dear @realDonaldTrump,
Canada's Kelowna airport had a serious security breach. Hacked with Hаmаs propaganda.
Mark Carney won't stand up to the Muslim Brotherhood, but will stand up for them.
🇨🇦 is a security threat to the world.
Thank you for your attention to this matter. pic.twitter.com/hm0DyMd3Nx
— dahlia kurtz ✡︎ דליה קורץ (@DahliaKurtz) October 15, 2025
यह घटना ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इजरायल और हमास के बीच शांति समझौता करवाया था। यह समझौता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि अब इस साइबर अटैक ने ट्रंप प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है।
हमास समर्थकों द्वारा अमेरिका के अंदर ऐसी गतिविधि को सीधे चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इस घटना के बाद अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी एजेंसियां और एफबीआई अलर्ट पर हैं। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या हमास या उसके समर्थकों ने यह अटैक सीधे तौर पर किया है या किसी तीसरे पक्ष ने इसका फायदा उठाया।
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घटना के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रूथ सोशल” पर बयान जारी किया। उन्होंने लिखा, 'अगर हमास या उसके समर्थक हिंसा और धमकी के रास्ते पर चलते रहे तो अमेरिका जवाब देगा। हम अपने नागरिकों और संस्थानों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।'
ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, NSA और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को साइबर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को तुरंत अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं।
पिछले कुछ महीनों में अमेरिका में साइबर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक और धार्मिक संगठनों से जुड़े समूह अब साइबर माध्यमों को अपने प्रचार और दबाव के औजार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
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अमेरिका और कनाडा की एजेंसियों ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि इस साइबर हमले के पीछे हमास का सीधा हाथ है या किसी हैक्टिविस्ट ग्रुप ने इस घटना को अंजाम दिया है।
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