

व्हाइट हाउस की ओर से जारी आदेश के मुताबिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश के तहत यह फैसला बुधवार से लागू हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स-इंटरनेट)
वॉशिंगटन: अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर टैरिफ को दोगुना करने का बड़ा फैसला लिया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश के तहत यह फैसला बुधवार से लागू हो गया है।
इस कदम को ट्रंप प्रशासन की व्यापार युद्ध नीति में एक नया मोड़ माना जा रहा है। अब अमेरिका में आयात होने वाले स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि यह फैसला अमेरिकी स्टील उद्योग के भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लिया गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपने घरेलू धातु उद्योग की रक्षा करनी है ताकि वह भविष्य में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सके।
इस देश को टैरिफ में मिली विशेष छूट
हालांकि, यूनाइटेड किंगडम (यूके) को इस फैसले से विशेष छूट दी गई है। हाल ही में यूके और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौता हुआ था, जिसके तहत ब्रिटिश स्टील पर 25 फीसदी टैरिफ हटाने पर सहमति बनी थी।
ब्रिटेन सरकार के प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया कि उनका देश जल्द से जल्द समझौते को लागू करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन अपने उद्योगों और नौकरियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। टैरिफ बढ़ाने के फैसले की आलोचना भी की गई है।
व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि इसका अमेरिका के बाहर के स्टील उत्पादकों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और व्यापार साझेदार देश जवाबी कदम उठा सकते हैं। इसके अलावा इन धातुओं का इस्तेमाल करने वाली अमेरिकी कंपनियों की लागत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।
स्टील का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक
अमेरिका दुनिया में स्टील का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। अमेरिकी उद्योग मुख्य रूप से कनाडा, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको जैसे देशों से स्टील और एल्युमीनियम का आयात करते हैं। इससे पहले 2018 में ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए स्टील पर 25 फीसदी और एल्युमीनियम पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया था।
आलोचकों का कहना है कि टैरिफ को 50 फीसदी कर दिया गया है, तो यह अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।