New Delhi: भारतीय सेना द्वारा 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों में जबरदस्त खलबली मच गई है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के कई ठिकानों को सटीक हमलों के जरिए ध्वस्त कर दिया। रक्षा सूत्रों के अनुसार इसके बाद आतंकवादी संगठनों ने अपने ठिकानों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
पाकिस्तानी एजेंसियों की संलिप्तता
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे स्थानांतरण में पाकिस्तान सरकार की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद ने हाल ही में पख्तूनख्वा क्षेत्र में कई सभाएं आयोजित की थीं, जिनमें पाकिस्तानी पुलिस ने सुरक्षा मुहैया करवाई।
ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई को उस समय की गई थी जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला कर दिया था। इस निर्मम हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। इस हमले की जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने आतंकी संगठनों के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई की और देश की सीमा के अंदर से ही दुश्मन को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन में बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में आतंकी कैंपों को नष्ट किया गया। बताया जा रहा है कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार को भी इस हमले में गंभीर नुकसान हुआ।
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डैमेज कंट्रोल में जुटे आतंकी संगठन
सूत्र बताते हैं कि आतंकी संगठन अब अपने बचे हुए नेटवर्क को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। एक लश्कर कमांडर ने स्वीकार किया कि अब संगठन को फिर से संगठित कर और भी बड़ा बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए खबर पख्तूनख्वा जैसे इलाकों को चुना गया है, जहां सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर है और अफगान सीमा की नजदीकी इन इलाकों को रणनीतिक रूप से फायदेमंद बनाती है।
भारत की रणनीति और सतर्कता
भारतीय सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां अब इस नई गतिविधि को लेकर सतर्क हो गई हैं। सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और हवाई ट्रैकिंग को और अधिक मजबूत किया गया है। सेना और खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान के भीतर चल रही आतंकी गतिविधियों की मॉनिटरिंग कर रही हैं और रणनीतिक प्रतिक्रिया की तैयारी की जा रही है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति बेनकाब
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है। अब जब खुफिया रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हुआ है कि पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियां और राजनीतिक दल इन आतंकियों को खुला समर्थन दे रहे हैं, तो यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की स्थिति को और कमजोर करता है।

