

अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें अब तक 509 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,000 से अधिक लोग घायल हैं। भूकंप का केंद्र जलालाबाद शहर के पास था, जो नंगरहार और कुनार प्रांतों में खासतौर पर तबाही का कारण बना।
भूकंप से अफगानिस्तान में तबाही
Kabul: अफगानिस्तान में आए भूकंप के कारण अब तक 622 लोगों की मौत हो चुकी है, और 1500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह भूकंप सोमवार को सुबह के समय आया था, जिसका केन्द्र जलालाबाद शहर से लगभग 17 मील (27 किलोमीटर) दूर स्थित था। अफगानिस्तान में इस भूकंप ने भारी तबाही मचाई है और नंगरहार व कुनार प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
यूएस भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 6.0 मैग्नीट्यूड थी और इसका केंद्र जलालाबाद शहर से 17 मील दूर स्थित था। जलालाबाद, जो अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में स्थित है, एक महत्वपूर्ण शहर है और यहां की आबादी लगभग दो लाख है। राजधानी काबुल से लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित इस शहर में भूकंप ने गंभीर नुकसान पहुंचाया है। भूकंप के कारण इमारतों और बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ है।
भूकंप से अफगानिस्तान में तबाही
भूकंप के कारण नंगरहार और कुनार प्रांतों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। नंगरहार प्रांत का जलालाबाद शहर भूकंप के केंद्र के पास होने के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां की सड़कों पर मलबा बिखरा पड़ा है, और कई इमारतें ढह गई हैं। कुनार प्रांत भी काफी हद तक प्रभावित हुआ है, जहां कई गांवों में घरों के ढहने की खबरें आई हैं। इस प्रांत में राहत और बचाव कार्यों की गति काफी धीमी है, क्योंकि कई इलाके भूकंप के बाद कट गए हैं और वहां पहुंचने के लिए उचित मार्ग उपलब्ध नहीं हैं।
भूकंप के बाद हजारों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी मदद के लिए सरकार और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने राहत कार्यों की शुरुआत कर दी है। हालांकि, भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों तक सहायता पहुंचाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है क्योंकि कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अफगान सरकार और संयुक्त राष्ट्र के राहत कर्मी प्रभावित क्षेत्रों में खाना, पानी और चिकित्सा सहायता भेजने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, स्थानीय निवासी भी अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को मलबे से बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
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भूकंप के बाद जलालाबाद और अन्य प्रभावित इलाकों में लोग एक दूसरे को ढूंढ रहे हैं और अपने घरों के मलबे को हटाकर मृतकों और घायलों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ स्थानों पर राहत कार्य में बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि स्थानीय अस्पतालों में घायलों का इलाज करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। स्थानीय सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे जो भी संसाधन हैं, उनका उपयोग करके प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने का प्रयास करेंगे। जलालाबाद के एक निवासी ने बताया, "यह किसी डरावने सपने जैसा था। हम सो रहे थे जब अचानक पूरी ज़मीन हिलने लगी। हमारे घर की दीवारें ढह गईं और चारों ओर मलबा बिखर गया। हमें किसी तरह से बाहर निकलने का मौका मिला। अब हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है।"
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, भूकंप के दौरान बड़ी संख्या में लोग मलबे में दब गए हैं, जिनमें बच्चों और महिलाओं की भी बड़ी संख्या शामिल है। प्रभावित क्षेत्रों में घरों और इमारतों के ढहने के कारण एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे से बिछड़ गए हैं और उन्हें ढूंढने के लिए मलबे के बीच घंटों से संघर्ष चल रहा है।
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अफगानिस्तान में भूकंप के बाद आई इस मानवीय आपदा को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की गई है। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और अन्य अंतर्राष्ट्रीय राहत संगठनों ने इस संकट में राहत सामग्री भेजने का वादा किया है। हालांकि, देश की राजनीतिक स्थिति और सुरक्षा कारणों के चलते राहत कार्यों में परेशानी आ रही है। बहुत सी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां अफगानिस्तान में राहत कार्य करने के लिए संघर्ष कर रही हैं, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में तालिबान का नियंत्रण है, जो बाहरी सहायता के संचालन में रुकावट डाल सकता है।