नेपाल में जनसंख्या का बदलता समीकरण: घट रही हिंदू आबादी, मुस्लिम जनसंख्या में दर्ज हो रही बढ़ोतरी

नेपाल जो परंपरागत रूप से हिंदू बहुल देश रहा है, अब जनसंख्या के नए आंकड़ों के अनुसार एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जहां प्रजनन दर लगातार गिर रही है, वहीं मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 11 September 2025, 4:13 PM IST

Kathmandu: नेपाल इन दिनों राजनीतिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शनों के दौर से गुजर रहा है, लेकिन इसके समानांतर देश में जनसंख्या संरचना को लेकर भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। 2021 की जनगणना और विभिन्न रिपोर्टों के आंकड़े बताते हैं कि नेपाल की धार्मिक जनसंख्या में धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है, जो भविष्य में सामाजिक संतुलन पर असर डाल सकता है।

हिंदू आबादी में गिरावट

नेपाल एक हिंदू बहुल राष्ट्र रहा है, जहां 2021 की जनगणना के अनुसार हिंदुओं की संख्या 2 करोड़ 36 लाख है, जो कुल 2.97 करोड़ की आबादी का लगभग 81% है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों की तुलना में इस आंकड़े में धीरे-धीरे गिरावट दर्ज की गई है। जनसंख्या विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा, शहरीकरण और परिवार नियोजन जैसे कारणों से हिंदू आबादी की वृद्धि दर में गिरावट आई है।

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नेपाल में जनसंख्या का समीकरण

मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी

वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। साल 2011 में मुस्लिम आबादी कुल आबादी का 4.39% थी, जो 2021 में बढ़कर 5.09% हो गई है। यानी बीते एक दशक में 0.69% की बढ़ोतरी हुई है। इस्लाम अब नेपाल का तीसरा सबसे बड़ा धर्म बन चुका है। मुस्लिम आबादी खासतौर पर तराई क्षेत्र और शहरी इलाकों में केंद्रित है, जहां रोजगार और शिक्षा की बेहतर सुविधाएं हैं।

घटती प्रजनन दर एक चिंता

Macrotrends की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल की जन्म दर लगातार घट रही है। 2024 में यह दर 1.76 रही, जबकि 2023 में 1.98 और 2022 में 2.00 थीयह गिरावट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि नेपाल की जनसंख्या वृद्धि धीमी हो रही हैइसके विपरीत, बांग्लादेश की जन्म दर 2.16 है, जो नेपाल से अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों का परिणाम है।

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क्या होगी भविष्य की दिशा?

नेपाल में धार्मिक आबादी में बदलाव केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, यह देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आने वाले वर्षों में यह बदलाव सरकार की नीतियों, संसाधनों के वितरण और सामाजिक समरसता पर असर डाल सकता है।

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  • Kathmandu

Published : 
  • 11 September 2025, 4:13 PM IST