ढाका में ISI का रणनीतिक खेल: बांग्लादेशी युवाओं को भारत विरोधी आंदोलन में घसीटने की कोशिश? सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

15 साल बाद ढाका में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI सक्रिय हुई। हाई कमीशन के भीतर ‘सीक्रेट सेल’ बनाया गया है। भारत ने इसे गंभीर चिंता बताया। ISI बांग्लादेशी युवाओं को भारत विरोधी गतिविधियों की ओर मोड़ने की कोशिश कर रही है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 20 December 2025, 9:34 AM IST

Dhaka: बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक चौंकाने वाली खुफिया रिपोर्ट सामने आई है, जिसने भारत की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 15 साल बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की सक्रिय मौजूदगी ढाका में दोबारा दर्ज की गई है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने ढाका स्थित अपने हाई कमीशन के भीतर एक विशेष और गोपनीय ISI सेल की स्थापना की है। इस घटनाक्रम को भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

हाई कमीशन के भीतर बना ISI का विशेष सेल

मीडिया और खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह ISI सेल अक्टूबर 2025 के अंत में पूरी तरह सक्रिय हुआ। इस यूनिट में एक ब्रिगेडियर, दो कर्नल, चार मेजर और थल सेना, नौसेना व वायुसेना से जुड़े अन्य अधिकारी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की चार दिवसीय ढाका यात्रा के बाद इस सेल को औपचारिक रूप से सक्रिय किया गया। इस दौरान ISI अधिकारियों की बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों NSI और DGFI के साथ कई अहम बैठकें भी हुईं।

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भारत के खिलाफ साजिश का आरोप

खुफिया विश्लेषकों का मानना है कि इन बैठकों का आधिकारिक एजेंडा भले ही बंगाल की खाड़ी में समुद्री निगरानी बताया जा रहा हो, लेकिन असली मकसद भारत की पूर्वी सीमाओं पर नजर रखना है। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि ISI बांग्लादेशी युवाओं को भारत विरोधी और कट्टरपंथी विचारधाराओं की ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए जमात-ए-इस्लामी और इंकलाब मंच जैसे संगठनों के जरिए धार्मिक उग्रवाद को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जा रही है, ताकि भारत के खिलाफ एक “हाइब्रिड नेटवर्क” तैयार किया जा सके।

ढाका-इस्लामाबाद के बढ़ते रिश्ते

अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद ढाका और इस्लामाबाद के रिश्तों में तेजी से बदलाव देखने को मिला है। जुलाई 2025 में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच पासपोर्ट धारकों और सैन्य कर्मियों के लिए वीजा-फ्री एंट्री की व्यवस्था की गई। इसके अलावा रावलपिंडी और ढाका के बीच हाई-लेवल सैन्य आदान-प्रदान, कराची-चित्तागांव शिपिंग रूट की शुरुआत और प्रस्तावित सीधी उड़ानों को भी खुफिया गतिविधियों के लिए कवर के रूप में देखा जा रहा है।

उस्मान हादी की मौत और बढ़ती अशांति

18 दिसंबर 2025 को छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद ढाका में भड़की हिंसा को कई विशेषज्ञ 'मैनेज्ड क्राइसिस' करार दे रहे हैं। भारतीय हाई कमीशन और चट्टोग्राम स्थित सहायक हाई कमीशन पर हमले, मीडिया दफ्तरों में आगजनी और सड़कों पर भय का माहौल- इन सभी घटनाओं को फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों को प्रभावित करने और कट्टरपंथी ताकतों की पकड़ मजबूत करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

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भारत की सख्त नजर और कूटनीतिक संदेश

भारत ने इस पूरे मामले पर चुप्पी नहीं साधी है। 19 नवंबर 2025 को कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ढाका में ISI की सक्रियता का मुद्दा सीधे बांग्लादेशी समकक्ष के सामने उठाया। भारत का साफ संदेश है कि वह बांग्लादेश की जनता के साथ खड़ा है, लेकिन ढाका में बढ़ता पाकिस्तानी प्रभाव ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।

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  • Dhaka

Published : 
  • 20 December 2025, 9:34 AM IST