“सब कुछ एक रात में खत्म हो गया…” बांग्लादेश हिंसा में मारे गए दीपू के भाई की टूटी आवाज

बांग्लादेश में कपड़ा फैक्ट्री कर्मी दीपू चंद्र दास की 18 दिसंबर को भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। अफवाहों के आधार पर हुई इस हिंसा में अब तक 12 गिरफ्तारियां हुई हैं। परिवार न्याय की मांग कर रहा है, लेकिन डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 23 December 2025, 8:34 AM IST

Dhaka: बांग्लादेश में 18 दिसंबर को हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में स्थित एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले दीपू चंद्र दास की कथित तौर पर भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक न तो शांति मिली है और न ही राहत।

फैक्ट्री में काम करता था दीपू

दीपू चंद्र दास भालुका के पायनियर निटवेअर्स लिमिटेड नामक कपड़ा कारखाने में कर्मचारी था। 18 दिसंबर की रात करीब नौ बजे अचानक एक बड़ी भीड़ फैक्ट्री परिसर में पहुंची। परिवार के अनुसार, दीपू को जबरन बाहर ले जाया गया और उसके साथ हिंसा की गई। बाद में उसका शव सड़क किनारे पाया गया। घटना के समय फैक्ट्री और आसपास के इलाके में भारी तनाव फैल गया।

परिवार का दर्द

दीपू के भाई अपू चंद्र दास ने कहा कि उनके भाई के साथ जो हुआ, वह कल्पना से परे है। उन्होंने बताया कि परिवार अब भी सदमे में है और उनके बुजुर्ग माता-पिता पूरी तरह टूट चुके हैं। अपू के मुताबिक, घटना के बाद परिवार को कई तरह की सामाजिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा।

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अंतिम संस्कार से पहले परिवार को दीपू को ठीक से देखने तक नहीं दिया गया। सब कुछ बहुत जल्दबाजी में कराया गया, जिससे परिवार को गहरा आघात पहुंचा।

हत्या ने कई सवाल खड़े किए (सोर्स- इंटरनेट)

सोशल मीडिया अफवाह बनी हिंसा की वजह?

परिवार का कहना है कि दीपू पर सोशल मीडिया पर एक धर्म विशेष का अपमान करने का झूठा आरोप लगाया गया था। इसी अफवाह के बाद भीड़ हिंसक हो गई। अपू ने साफ कहा कि उनका भाई ऐसा कभी नहीं कर सकता था और वह सभी धर्मों का सम्मान करता था।

इस दावे की पुष्टि अब मामले की जांच कर रही रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने भी की है। आरएबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच में दीपू के किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट से आपत्तिजनक पोस्ट का कोई सबूत नहीं मिला है। एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या जानबूझकर गलत सूचना फैलाकर सांप्रदायिक हिंसा भड़काई गई।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां

घटना के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सोमवार को सभी आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया। पुलिस का कहना है कि जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, परिवार का मानना है कि केवल गिरफ्तारियां काफी नहीं हैं। अपू का कहना है कि जिस तरह से यह हिंसा हुई और बाद में समाज के कई लोगों की चुप्पी रही, उसने उनके भरोसे को गहरा नुकसान पहुंचाया है।

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अब कैसे जिएं, समझ नहीं आता

अपू खुद दिहाड़ी मजदूर हैं और उनकी कोई स्थायी आमदनी नहीं है। उन्होंने 19 दिसंबर को भालुका मॉडल पुलिस स्टेशन में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी। अधिकारियों ने उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया है, लेकिन अपू कहते हैं कि जो कुछ उन्होंने देखा, उसके बाद भरोसा करना मुश्किल हो गया है।

उनका कहना है कि डर और असुरक्षा का माहौल ऐसा है कि उन्हें यह भी नहीं पता कि आगे जिंदगी कैसे चलेगी। यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए भय और चिंता का कारण बन गई है।

Location : 
  • Dhaka

Published : 
  • 23 December 2025, 8:34 AM IST