PM Modi China visit Live: पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक खत्म, निवेश बढ़ाने पर बनी सहमति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे हैं। तियानजिन में वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा में व्यापारिक सहयोग, सीमा विवाद, आतंकवाद और म्यांमार में लोकतंत्र बहाली पर चर्चा होने की उम्मीद है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 31 August 2025, 7:48 PM IST
google-preferred

Beijing: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (30 अगस्त) शाम चीन के तियानजिन पहुंचे। यह उनकी सात साल बाद की पहली चीन यात्रा है। ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और बदलते राजनीतिक गठबंधन नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं, मोदी का यह दौरा भारत-चीन संबंधों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।

कैलाश मानसरोवर और वीजा फैसलों से रिश्तों में सुधार

दोनों देशों ने हाल ही में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने और चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा बहाल करने जैसे कदम उठाए हैं। इन फैसलों को रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

शी जिनपिंग से होगी अहम बैठक

प्रधानमंत्री मोदी रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह बैठक सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच लगभग पाँच साल से सीमा पर तनाव बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि मोदी इस वार्ता में दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सहयोग और शांति का संदेश देंगे। यह मुलाकात सीमा विवाद से आगे बढ़कर आर्थिक साझेदारी और सुरक्षा मुद्दों पर भी केंद्रित रहेगी।

म्यांमार संकट पर चर्चा

मोदी की तियानजिन यात्रा का एक और अहम हिस्सा म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति और सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग से संभावित मुलाकात है। 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार पश्चिमी देशों से अलग-थलग पड़ा है, लेकिन भारत के लिए उसका महत्व बहुत अधिक है। भारत और म्यांमार के बीच 1600 किलोमीटर लंबी सीमा है और सीमा पार उग्रवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों देशों का सहयोग आवश्यक है। माना जा रहा है कि मोदी इस बैठक में लोकतंत्र बहाली और समावेशी चुनावों की ज़रूरत पर ज़ोर देंगे।

व्यापार और आर्थिक सहयोग

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बैठक का बड़ा हिस्सा व्यापार पर केंद्रित रहेगा। मोदी निष्पक्ष व्यापार साझेदारी और दुर्लभ मृदा, उर्वरक और उपकरण जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा करेंगे। हाल ही में चीन ने संकेत दिया है कि वह इन वस्तुओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में ढील देगा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने पर भी सहमति बनने की संभावना है।

आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख

मोदी इस यात्रा में आतंकवाद के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाएंगे। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सीमा पार से हो रहे आतंकी नेटवर्क पर चिंता जताई है। संभावना है कि मोदी चीन से इस मसले पर सहयोग और सख्त कदम उठाने की मांग करेंगे।

क्षेत्रीय राजनीति में संतुलन की कोशिश

यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते तनावपूर्ण दौर में हैं। ऐसे में मोदी का चीन जाना केवल SCO सम्मेलन तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भारत की भूमिका को मजबूत करने और संतुलन साधने की रणनीति का हिस्सा भी है।

 

 

 

Location :