New Delhi: देश में जिस रफ्तार से लोगों की जीवनशैली और खानपान की आदतें बदल रही हैं, उसी तेजी से स्वास्थ्य समस्याएं भी जन्म ले रही हैं। AIIMS की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 30% आबादी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से जूझ रही है। यह स्थिति तब होती है जब लिवर में चर्बी जमा हो जाती है, लेकिन इसका कारण शराब नहीं बल्कि गलत खानपान, अधिक कैलोरी का सेवन और निष्क्रिय जीवनशैली होती है।
NAFLD अगर समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह धीरे-धीरे लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है। भारत जैसे देश में जहां फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और मीठा खाने का चलन बढ़ रहा है, वहां यह स्थिति और अधिक चिंताजनक हो जाती है।
किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?
एम्स की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, कुछ विशेष वर्ग के लोगों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है:
- मोटापा और पेट की चर्बी वाले लोग सबसे अधिक जोखिम में होते हैं। मोटापा शरीर में फैट मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ देता है, जिससे लिवर में फैट जमा होने लगता है।
- टाइप-2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह खतरा दोगुना हो जाता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी ये समस्याएं लिवर को कमजोर बना देती हैं।
- लंबे समय तक बैठे रहने वाले, जैसे ऑफिस वर्कर या कंप्यूटर प्रोफेशनल, जिनकी फिजिकल एक्टिविटी लगभग न के बराबर होती है, उनके शरीर में कैलोरी बर्न नहीं हो पाती, जिससे चर्बी लिवर में जमा होने लगती है।
- फास्ट फूड, तला-भुना और मीठा खाने वालों में भी यह रोग तेजी से बढ़ रहा है। खासकर युवाओं और बच्चों में यह आदत आम होती जा रही है।
- नींद की कमी और लगातार तनाव भी हार्मोनल असंतुलन का कारण बनते हैं, जो लिवर पर असर डालते हैं और NAFLD की स्थिति को और खराब कर सकते हैं।
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि NAFLD को रोका जा सकता है, बशर्ते लोग अपनी जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करें। इसके लिए नीचे दिए गए उपाय फायदेमंद हो सकते हैं:
- रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक या व्यायाम करें।
- खाने में हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त आहार को शामिल करें।
- चीनी, जंक फूड और घी-तेल वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
- वजन नियंत्रित रखें और समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराते रहें।
- भरपूर नींद लें और मानसिक तनाव कम करें।

