

देश में बदलती जीवनशैली और अनहेल्दी खानपान की आदतें स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। एम्स की ताजा रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भारत की 30% आबादी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से प्रभावित है। शराब न पीने वालों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है और यदि समय रहते इसका इलाज न हो, तो यह लिवर कैंसर जैसी घातक स्थिति का रूप ले सकती है।
फैटी लिवर (Img: Pinterest)
New Delhi: देश में जिस रफ्तार से लोगों की जीवनशैली और खानपान की आदतें बदल रही हैं, उसी तेजी से स्वास्थ्य समस्याएं भी जन्म ले रही हैं। AIIMS की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 30% आबादी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से जूझ रही है। यह स्थिति तब होती है जब लिवर में चर्बी जमा हो जाती है, लेकिन इसका कारण शराब नहीं बल्कि गलत खानपान, अधिक कैलोरी का सेवन और निष्क्रिय जीवनशैली होती है।
NAFLD अगर समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह धीरे-धीरे लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है। भारत जैसे देश में जहां फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और मीठा खाने का चलन बढ़ रहा है, वहां यह स्थिति और अधिक चिंताजनक हो जाती है।
किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?
एम्स की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, कुछ विशेष वर्ग के लोगों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है:
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि NAFLD को रोका जा सकता है, बशर्ते लोग अपनी जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करें। इसके लिए नीचे दिए गए उपाय फायदेमंद हो सकते हैं: