COVID-19: भारत में कोविड के मामले कम लेकिन खत्म नहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों ने दी चेतावनी

भारत में कोविड-19 के मामले भले ही नियंत्रण में दिख रहे हों, लेकिन वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 21 May 2025, 4:22 PM IST
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नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 के मामले भले ही नियंत्रण में दिख रहे हों, लेकिन वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। 19 मई, 2025 तक देश में 257 सक्रिय मामले सामने आए हैं, जो दर्शाता है कि कोविड का खतरा अभी टला नहीं है। पिछले सप्ताह (12 से 19 मई) में कुल 164 नए संक्रमण के मामले सामने आए, जिनमें सबसे अधिक मामले केरल (95), तमिलनाडु (66) और महाराष्ट्र (56) से सामने आए।

JN.1 वैरिएंट चिंता का नया कारण बन गया है

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इन मामलों के पीछे एक प्रमुख कारण JN.1 वैरिएंट है, जो ओमिक्रॉन के BA.2.86 वंश का विकसित रूप है। यह वैरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और पहले से विकसित प्रतिरक्षा को चकमा देने की क्षमता रखता है। इसके स्पाइक प्रोटीन में मौजूद L455S उत्परिवर्तन इसे मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने में अधिक सक्षम बनाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि JN.1 XBB.1.5 की तुलना में लगभग 1.5 गुना अधिक संक्रामक है और यह हाल ही में सामने आए अन्य उपप्रकारों जैसे EG.5.1 और BA.2.86 की तुलना में अधिक तेजी से फैल सकता है।

भारत में JN.1 के साथ-साथ इसके अन्य उपप्रकार LF.7 और NB.1.8 की भी पहचान की गई है, जो पहले से ही एशिया के कुछ हिस्सों में फैल रहे हैं। हालांकि ये वैरिएंट गंभीर बीमारी का कारण नहीं बन रहे हैं, लेकिन तेजी से फैलने की उनकी क्षमता स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चुनौती बन रही है।

खतरे की घंटी नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी

अभी तक राहत की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मामले हल्के संक्रमण के हैं और अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर बीमारी के मामलों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। मुंबई में हाल ही में दर्ज की गई कुछ मौतें कोविड-19 के कारण नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों के कारण हुई हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क है और खासकर बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

वैश्विक स्थिति पर भी नजर

भारत के पड़ोसी देशों जैसे सिंगापुर और हांगकांग में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसके चलते भारत में भी निगरानी बढ़ा दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय घबराने का नहीं, बल्कि सावधानी बरतने का है।

स्वास्थ्य दिशा-निर्देश और मौजूदा उपचार

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को टीका लगवाने और बूस्टर डोज लगवाने, भीड़भाड़ वाली और बंद जगहों पर मास्क पहनने, हाथ धोने की आदत बनाए रखने और लक्षण दिखने पर खुद को आइसोलेट करने की सलाह दी है।

जेएन.1 के लिए फिलहाल कोई खास उपचार उपलब्ध नहीं है। इलाज के लिए अभी भी पैक्लोविड, रेमडेसिविर और मोलनुपिराविर जैसी एंटीवायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, नवीनतम mRNA टीके अभी भी गंभीर बीमारी को रोकने में प्रभावी हैं, हालांकि संक्रमण को पूरी तरह से रोकने की उनकी क्षमता सीमित हो सकती है।

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