

बार-बार बीमार पड़ना केवल मौसम की मार नहीं, आपके शरीर का एक संकेत भी हो सकता है। ये संकेत आपके इम्यून सिस्टम या किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा कर सकते हैं।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: क्या आपको अक्सर बुखार हो जाता है? हर मौसम में सर्दी-जुकाम या गला बैठ जाना आम बात हो गई है? अगर आप साल में कई बार बीमार पड़ते हैं और मामूली इलाज से भी सुधार नहीं होता, तो ये संकेत हो सकता है कि मामला सिर्फ वायरल या मौसम का नहीं, बल्कि शरीर के अंदर किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकता है- जैसे कि कैंसर।
डॉक्टरों के मुताबिक, बार-बार बीमार पड़ने की एक बड़ी वजह कमजोर इम्यून सिस्टम हो सकता है, जो शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत को कम कर देता है। कुछ कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर), लिंफोमा (लसीका ग्रंथि का कैंसर) और मल्टीपल मायलोमा (प्लाज्मा सेल कैंसर), सीधे तौर पर इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं।
इन बीमारियों में शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण या उनका कार्य प्रभावित होता है, जिससे शरीर मामूली संक्रमण से भी नहीं लड़ पाता। इस वजह से व्यक्ति को बार-बार बुखार, लंबे समय तक न ठीक होने वाले घाव, सांस की दिक्कतें और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपके शरीर में कुछ खास लक्षण लगातार दिख रहे हैं, तो इन्हें नजरअंदाज न करें। ये 'रेड फ्लैग' कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शुरुआती संकेत हो सकते हैं
यह समझना जरूरी है कि हर बार-बार होने वाली बीमारी कैंसर का संकेत नहीं होती। कई बार डायबिटीज, थायरॉइड, तनाव या ऑटोइम्यून बीमारियां भी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती हैं। लेकिन अगर इन लक्षणों का कोई ठोस कारण न मिल रहा हो और वे लगातार बने रहें, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की जांच करवाना समझदारी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कैंसर की शुरुआती स्टेज में पहचान होने पर उसका इलाज ज्यादा कारगर होता है। इसलिए अगर शरीर का व्यवहार अचानक बदल जाए, वजन घटे, रात में पसीना आए या बार-बार इंफेक्शन हो, तो इसे मामूली न समझें। जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें और जरूरत पड़े तो जांच करवाएं।
बार-बार बीमार पड़ना केवल मौसम की मार नहीं, आपके शरीर का एक संकेत भी हो सकता है। ये संकेत आपके इम्यून सिस्टम या किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा कर सकते हैं। सतर्क रहना, समय पर डॉक्टर से सलाह लेना और शरीर के बदलावों को गंभीरता से लेना- यही कैंसर जैसे रोगों से बचाव का पहला और सबसे जरूरी कदम है।