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मुगल-ए-आज़म के ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाने को गायिका लता मंगेशकर ने बाथरूम में रिकॉर्ड किया था। यह अनोखा तरीका उस समय के तकनीकी सीमाओं के कारण अपनाया गया था। जानिए कैसे इस गाने ने भारतीय सिनेमा में अमर स्थान बनाया।
मुगल-ए-आज़म के ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाने
New Delhi: 1960 में रिलीज हुई फिल्म मुगल-ए-आज़म भारतीय सिनेमा की एक अमर धरोहर मानी जाती है। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि बॉलीवुड के सबसे यादगार और महंगे गानों में से एक भी पेश किया। ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाना आज भी हर दिल में बसे हुए है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गाने को रिकॉर्ड करने का तरीका कितना अनोखा था? इस गाने को महान गायिका लता मंगेशकर ने बाथरूम में रिकॉर्ड किया था। आइए जानते हैं इस दिलचस्प किस्से के पीछे की वजह।
मुगल-ए-आज़म के निर्देशक के. आसिफ ने फिल्म में संगीत के लिए नौशाद को चुना था, जिनका संगीत इस फिल्म की आत्मा बना। शकील बदायुनी के लिखे इस गीत को लता मंगेशकर ने आवाज दी। उस दौर में रिकॉर्डिंग टेक्नोलॉजी इतनी विकसित नहीं थी, खासकर इको इफेक्ट्स का इस्तेमाल सीमित था। इसलिए लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ में गहराई और प्रतिध्वनि (रेवरब) लाने के लिए इस गाने को बाथरूम में रिकॉर्ड करने का फैसला किया। बाथरूम की सीलिंग और टाइल की सतहें आवाज़ को प्राकृतिक इको देती हैं, जो इस गाने की भावनात्मक गहराई को बढ़ाती है।
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गाने को अंतिम रूप देने से पहले इसे 105 बार रिकॉर्ड किया गया, जिससे इसे परफेक्ट बनाने में काफी मेहनत लगी। इस रिकॉर्डिंग की अनोखी तकनीक ने गाने को एक अलग ही एहसास दिया, जो आज भी सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाने का दृश्य मोहन स्टूडियो में शूट किया गया था। इसके लिए खासतौर पर भव्य महल का सेट बनाया गया था, जो उस वक्त की तकनीकी और आर्ट डिज़ाइन की उत्कृष्ट मिसाल था। इस गाने में मधुबाला ने अनारकली की भूमिका निभाई थी। उनका दिलकश अभिनय और नृत्य ने इस सीन को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया।
‘मुगल-ए-आज़म’ के 65 साल पुराना रिकॉर्डिंग का किस्सा
मुगल सम्राट अकबर के रोल में पृथ्वीराज कपूर ने अपनी दमदार अदाकारी से इस दृश्य को चार चांद लगाए। इस गाने में शीशों का महल भी एक बड़ा आकर्षण था, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता था।
इस गाने के महल के सेट में शूटिंग करना आसान नहीं था। इस गाने में अनारकली रंगीन शीशों के महल में घूमती हैं, जिसमें शीशों पर लाइट की चमक और रिफ्लेक्शन की समस्या थी। शुरुआत में शूटिंग कई बार रुकी क्योंकि कैमरे पर पड़ने वाली लाइट के कारण आंखें चमक उठती थीं, जिससे शूटिंग मुश्किल हो जाती थी।
इस समस्या को हल करने के लिए सिनेमैटोग्राफर आरडी माथुर ने अपने कैमरे से सेट में ऐसा कोना खोज निकाला, जहां लाइट का रिफ्लेक्शन न हो। इस खोज ने शूटिंग को संभव बनाया और आज यह सीन बॉलीवुड के सबसे यादगार सीनों में शुमार है।
मुगल-ए-आज़म को बनाने में कुल 14 साल लगे। गाने के लिए महल का सेट बनाने में दो साल का वक्त लगाया गया। तब के लिए 15 लाख रुपये की लागत वाला शीश महल एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। जब यह फिल्म 1960 में रिलीज़ हुई, तो इसे दर्शकों और आलोचकों दोनों ने खूब सराहा।
‘मुगल-ए-आज़म’ न केवल एक ऐतिहासिक फिल्म है, बल्कि इसके गाने भी बॉलीवुड की धरोहर हैं। ‘प्यार किया तो डरना क्या’ का बाथरूम में रिकॉर्ड होना इस बात का प्रमाण है कि कलाकारों और तकनीशियनों ने अपने काम को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए किस हद तक प्रयास किया। इस गाने ने भारतीय सिनेमा में एक नया मुकाम स्थापित किया और 65 साल बाद भी अपनी जगह बनाए हुए है।
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