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बेरोजगार युवकों की कीमत 3500 डॉलर, विदेश में नौकरी का झांसा; मानव तस्करी का देश में जानें कैसे चल रहा काला कारनामा

आगरा पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय साइबर ठगी गैंग का पर्दाफाश किया है, जो बेरोजगार युवाओं को विदेश में नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया और थाईलैंड भेजता था। वहां युवाओं को हाउस अरेस्ट कर ऑनलाइन ठगी की ट्रेनिंग दी जाती थी।
Post Published By: Asmita Patel
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बेरोजगार युवकों की कीमत 3500 डॉलर, विदेश में नौकरी का झांसा; मानव तस्करी का देश में जानें कैसे चल रहा काला कारनामा

Agra: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की साइबर सेल, थाना साइबर क्राइम और साइबर इंटेलिजेंस टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बेरोजगार युवाओं को विदेश में नौकरी का झांसा देकर ठगी के जाल में फंसा रहा था। यह गैंग युवाओं को आकर्षक पैकेज और बड़े शहरों में नौकरी का लालच देकर पहले कंबोडिया और थाईलैंड भेजता था। वहां पहुंचने के बाद युवाओं को हाउस अरेस्ट कर लिया जाता था और उनसे ऑनलाइन फ्रॉड, डिजिटल इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग स्कैम करवाया जाता था।

उन्नाव और इंदौर से दो आरोपी गिरफ्तार

आगरा साइबर सेल ने इस मामले में उन्नाव निवासी आतिफ खान और इंदौर निवासी अजय कुमार शुक्ला को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपियों ने चौकाने वाला खुलासा किया है कि वे अब तक दर्जनों भारतीय युवाओं को प्रति व्यक्ति 3,500 डॉलर (करीब 3 लाख रुपये) में विदेशी गिरोहों को बेच चुके हैं। इन युवाओं को बेचने के बाद उनसे साइबर ठगी करवाई जाती थी और यदि कोई युवक इस जाल से निकलना चाहता था, तो उसे धमकाया जाता था और पासपोर्ट-कागजात जब्त कर लिए जाते थे।

पुलिस गिरफ्त में आऱोपी

कैसे फंसाए जाते थे बेरोजगार युवा

एडीशनल डीसीपी आदित्य सिंह ने बताया कि यह गैंग खासकर बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाता था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, ऑनलाइन जॉब पोर्टल्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर “विदेश में आकर्षक नौकरी” के नाम पर विज्ञापन डाले जाते थे। जो युवक नौकरी की तलाश में होते, वे इन एजेंटों के संपर्क में आते। इसके बाद उनसे पासपोर्ट, फोटो और पर्सनल डिटेल्स ली जाती थीं और उन्हें “वर्क वीज़ा” का झांसा देकर कंबोडिया या थाईलैंड भेज दिया जाता था।

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विदेश में बंधक बनाकर देते थे ट्रेनिंग

एडीशनल डीसीपी ने बताया कि युवाओं को विदेश भेजने के बाद वहां के एजेंट उन्हें दूसरे गैंग्स को बेच देते थे। हर युवक की कीमत करीब 3,500 डॉलर होती थी। इसके बाद युवकों को ऑनलाइन ठगी, डिजिटल करेंसी फ्रॉड और ट्रेडिंग स्कैम की ट्रेनिंग दी जाती थी। इन युवाओं से कहा जाता था कि वे निवेश करवाने, फर्जी वेबसाइट्स चलाने और लोगों को डिजिटल स्कीम्स में फंसाने का काम करें। अगर कोई युवक विरोध करता या वहां से भागने की कोशिश करता, तो उसे मारपीट कर धमकाया जाता और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है गैंग

पुलिस का मानना है कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए काम कर रहा है, जिसके तार भारत, कंबोडिया, थाईलैंड, दुबई और मलेशिया तक फैले हुए हैं। भारत में बैठे एजेंट बेरोजगार युवाओं को जॉब के नाम पर फंसाते हैं और फिर विदेश में मौजूद एजेंट उन्हें साइबर ठगी के लिए बेच देते हैं। एडीशनल डीसीपी आदित्य सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क किया जा रहा है ताकि उन युवाओं को वापस लाया जा सके जो अभी भी इन देशों में बंधक बनाए गए हैं।

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गिरफ्तार आरोपियों से मिले अहम सुराग

आरोपियों आतिफ खान और अजय कुमार शुक्ला से पुलिस को कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, पासपोर्ट की फोटोकॉपी और डिजिटल ट्रांजेक्शन के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस ने बताया कि इन दस्तावेजों से यह साबित हुआ है कि ये लोग भारत के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के युवकों को निशाना बना चुके हैं। साइबर सेल अब इन दस्तावेजों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय ठगी रैकेट के मुख्य सरगना तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

कई भारतीय अभी भी विदेशों में फंसे

साइबर इंटेलिजेंस यूनिट के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि करीब 50 से ज्यादा भारतीय युवक अभी भी कंबोडिया और थाईलैंड में बंधक बनाए गए हैं। इन सभी को ऑनलाइन ठगी के लिए मजबूर किया जा रहा है। भारतीय एजेंसियां अब विदेश मंत्रालय के जरिए समन्वय कर इन युवाओं को छुड़ाने की कोशिश कर रही हैं।

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