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मैनपुरी के इस बैंक पर भ्रष्टाचार का आरोप: महिला उद्यमी से “खर्चा पानी” के नाम पर मांगे पैसे, जानें पूरा मामला

मैनपुरी जिले की कुसमरा शाखा में बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठते हुए भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत लोन के लिए आवेदन करने वाली महिला ने बैंक अधिकारियों पर रिश्वत माँगने, फर्जीवाड़ा करने और धमकी देने के आरोप लगाए हैं।
Post Published By: Asmita Patel
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मैनपुरी के इस बैंक पर भ्रष्टाचार का आरोप: महिला उद्यमी से “खर्चा पानी” के नाम पर मांगे पैसे, जानें पूरा मामला

Mainpuri: मैनपुरी जनपद के कुसमरा कस्बे की रहने वाली ज्योति अग्रिहोत्री ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत ₹5 लाख के ऋण के लिए आवेदन किया था। योजना के तहत यह ऋण बिना किसी रिश्वत या अतिरिक्त शुल्क के स्वीकृत होना चाहिए था, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट सामने आई। ज्योति का कहना है कि आवेदन के बाद जब बैंक के फील्ड ऑफिसर राघवेन्द्र उनके यहाँ सर्वे करने आए, तो उन्होंने ₹20,000 की मांग की। उन्होंने यह रकम “खर्चा-पानी” कहकर मांगी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद, ज्योति ने अपने मित्र से ₹10,000 उधार लेकर मौके पर ही फील्ड ऑफिसर को सौंप दिए।

गवाहों की मौजूदगी में रिश्वत दी गई

ज्योति ने अपने आरोप में यह भी स्पष्ट किया है कि रिश्वत देने के समय प्रतीक तिवारी, ऋतिक बाथम और अभिनव कुमार नामक तीन स्थानीय युवक मौजूद थे। यानी यह कोई एकतरफा आरोप नहीं है, बल्कि प्रत्यक्षदर्शियों की उपस्थिति में यह घटना हुई। इसके बावजूद बैंक अधिकारियों ने लोन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया। लगातार नए-नए बहाने बनाए जाते रहे कभी स्टाम्प पेपर, कभी ₹500 की माँग, तो कभी अन्य दस्तावेजों की।

शाखा प्रबंधक का महिला विरोधी रवैया

15 जुलाई को जब ज्योति ने बैंक के शाखा प्रबंधक मनोज भट्टाचार्य से अपनी फाइल को लेकर बात की, तो उन्हें चौंकाने वाली प्रतिक्रिया मिली। प्रबंधक ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि महिलाएँ ऐसा काम नहीं कर सकतीं और उन्होंने फाइल पास करने से इनकार कर दिया। प्रबंधक ने आगे यह भी कहा कि “उद्यम आधार फर्जी है”, और धमकी भरे लहजे में बोले कि “चाहे जहाँ शिकायत कर लो, फाइल पास नहीं होगी।” यह न केवल महिला विरोधी सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बैंक अधिकारियों के भीतर कोई जवाबदेही नहीं बची है।

फर्जी ऋण स्वीकृति का भी आरोप

ज्योति का यह भी कहना है कि बैंक शाखा में पहले से ही दो से तीन फर्जी ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत संबंधित जानकारी भी माँगी है। अगर ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह बैंकिंग प्रणाली के लिए एक बड़ा प्रश्नचिन्ह होगा।

प्रशासन से की गई शिकायत

पीड़िता ने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक को भेज दी है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि दोषी फील्ड ऑफिसर और शाखा प्रबंधक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी और लाभार्थी को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

महिला सशक्तिकरण के प्रयासों पर पानी फेरता भ्रष्टाचार

यह घटना केवल एक महिला की व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार योजनाओं की सफलता पर भी सवाल खड़े करती है। सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाएँ तभी सफल हो सकती हैं जब ज़मीनी स्तर पर उन्हें ईमानदारी से लागू किया जाए। यदि बिचौलियों और भ्रष्ट अफसरों की वजह से योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुँच पा रहा, तो यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है।

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