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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेमीकंडक्टर चिप्स पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है, जिससे वैश्विक बाजार में हलचल मच गई है। भारत, जो तेजी से उभरती सेमीकंडक्टर ताकत बन रहा है, इस निर्णय से प्रभावित हो सकता है। ट्रंप के टैरिफ फैसले की वजह रूस से भारत के तेल व्यापार को माना जा रहा है।
ट्रंप टैरिफ (Img: Google)
New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक कड़े व्यापारिक फैसले ले रहे हैं। पहले भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की गई, जिसे अब बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इस टैरिफ में बढ़ोतरी को लागू करने के लिए 20 दिन की मोहलत दी गई है, जबकि 25% टैरिफ आज से प्रभावी हो गया है।
हालांकि सबसे बड़ी खबर यह है कि राष्ट्रपति ट्रंप अब सेमीकंडक्टर चिप्स पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का सीधा असर भारत समेत पूरी दुनिया की चिप मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन पर पड़ सकता है।
रूस से तेल खरीद बनी वजह
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप का यह कठोर कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के चलते उठाया गया है। अमेरिका ने पहले ही इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए भारत पर 25% टैरिफ लगाया था। अब सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी भारी शुल्क लगाने की धमकी दे दी गई है।
भारत की सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षा पर संकट
भारत ने हाल ही में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल किया है। भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' जैसी योजनाओं के तहत चिप निर्माण को लेकर बड़े निवेश किए जा रहे हैं। अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
2022 में भारत का चिप बाजार लगभग 23 अरब डॉलर का था, जो 2025 तक 50 अरब डॉलर के पार हो गया है। इसकी तुलना में अमेरिका की सेमीकंडक्टर मार्केट 130 अरब डॉलर और चीन की 177.8 अरब डॉलर है।
वैश्विक असर और भारत की रणनीति
ट्रंप के इस फैसले का प्रभाव न केवल भारत, बल्कि ताइवान, जापान और चीन जैसे बड़े सेमीकंडक्टर उत्पादक देशों पर भी पड़ेगा। चूंकि अधिकांश चिप्स का निर्यात अमेरिका की ओर होता है, 100% टैरिफ लगने से कीमतें बढ़ेंगी और सप्लाई चेन बाधित होगी।
भारत को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनौती को अवसर में बदलने का यही सही वक्त है। अगर भारत घरेलू उत्पादन को तेजी से बढ़ा सके, तो वह वैश्विक बाजार में एक मजबूत विकल्प बन सकता है।