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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ा भारत, अक्टूबर में PMI ने तोड़ा रिकॉर्ड

भारत का विनिर्माण क्षेत्र अक्टूबर 2025 में GST सुधारों और प्रौद्योगिकी निवेश के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है, जिसमें PMI 59.2 पर पहुंच गया। इस वृद्धि ने उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार सृजन में तेजी दिखाई है। आगामी महीनों में आर्थिक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
Post Published By: Asmita Patel
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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ा भारत, अक्टूबर में PMI ने तोड़ा रिकॉर्ड

New Delhi: भारत के विनिर्माण क्षेत्र ने अक्टूबर 2025 में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है, जिसका मुख्य कारण GST दरों में कटौती, प्रौद्योगिकी में निवेश और उत्पादकता में वृद्धि है। एक मासिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विनिर्माण क्षेत्र अक्टूबर में रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव का संकेत मिलता है।

एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) ने इस महीने नया रिकॉर्ड तोड़ा है। यह सूचकांक सितंबर में 57.7 था, जो अक्टूबर में बढ़कर 59.2 हो गया। PMI का 50 से ऊपर का अंक उत्पादन में वृद्धि और विकास को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है। अक्टूबर में आई वृद्धि ने भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती और विकास को साबित किया है।

GST कटौती का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा माल और सेवा कर (GST) दरों में कटौती से विनिर्माण क्षेत्र में सुधार आया है। सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देने और व्यापारियों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया था। इसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि हुई है और विभिन्न उद्योगों के लिए नई संभावनाएं खुली हैं।

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केंद्रीय सरकार द्वारा GST सुधारों के साथ-साथ प्रौद्योगिकी में भी निवेश किया गया है, जिससे उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से न केवल उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है, बल्कि इसकी मदद से कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता में भी सुधार किया है।

अर्थशास्त्रियों का अनुमान

एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अक्टूबर में PMI की बढ़त से स्पष्ट है कि मजबूत मांग ने उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया है। उन्होंने बताया कि इस महीने कच्चे माल की कीमतों में थोड़ी वृद्धि देखी गई, लेकिन इसका असर मुद्रास्फीति पर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा। मुद्रास्फीति की दर सितंबर में लगभग 12 साल के उच्चतम स्तर के बराबर रही, लेकिन अक्टूबर में कच्चे माल की कीमतों में नरमी आई है।

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

भंडारी ने यह भी बताया कि औसत बिक्री कीमतों में वृद्धि हुई है, क्योंकि कुछ विनिर्माताओं ने अतिरिक्त लागत को अंतिम उपभोक्ताओं पर डाल दिया। इसके अलावा, रोजगार सृजन की गति भी लगातार 20 महीने से जारी रही है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। रोजगार सृजन की दर हालांकि मध्यम रही, लेकिन यह पिछले महीनों की तुलना में बहुत बेहतर है।

भविष्य की दिशा और कारोबारी धारणा

भविष्य की दिशा को लेकर भंडारी का कहना था कि GST सुधारों और स्थिर मांग के चलते कारोबारी धारणा में मजबूती है। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि आने वाले महीनों में और अधिक सुधार देखने को मिल सकता है। कंपनियों ने अक्टूबर में कच्चे माल की खरीदारी में भी तेज़ी दिखाई है, जो उत्पादन बढ़ाने और भंडार को मजबूत करने में मदद करेगा। यह बात दर्शाती है कि निर्माता भविष्य की मांग के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हैं और अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं।

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नवीनतम रुझान और उद्योगों का विश्वास

पिछले कुछ महीनों में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ा है। खासकर छोटे और मझोले उद्योगों ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नए उपकरण और तकनीकी समाधान अपनाए हैं। अक्टूबर में इन उद्योगों ने कच्चे माल की खरीदारी में तेजी दिखाई, जिससे यह संकेत मिलता है कि उद्योग भविष्य में संभावित मांग को लेकर आश्वस्त हैं। इसके अलावा, कई कंपनियों ने नई तकनीकों और डिजिटलीकरण के जरिए अपनी उत्पादन प्रक्रिया को ज्यादा कुशल और लागत प्रभावी बनाया है।

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