

सरकार आयकर रिफंड की प्रक्रिया को सरल बनाने जा रही है। सालाना टैक्सेबल लिमिट से कम आय वालों को अब पूरा ITR फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। CBDT एक नया फॉर्म तैयार कर रहा है जिससे टीडीएस रिफंड सीधे क्लेम किया जा सकेगा।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सरकार आयकर रिफंड प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने की दिशा में काम कर रही है। अब जिनकी सालाना आय टैक्सेबल सीमा से कम है, उन्हें सिर्फ TDS रिफंड क्लेम करने के लिए पूरा इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
केंद्र सरकार आयकर कानून में एक अहम बदलाव करने की तैयारी में है, जो आगामी आयकर विधेयक 2025 में शामिल किया जाएगा। इस नए प्रस्ताव के अनुसार, जिन करदाताओं की आय टैक्स की सीमा से नीचे है लेकिन उनके वेतन से TDS काट लिया गया है, वे एक सरल फॉर्म के माध्यम से अपना रिफंड क्लेम कर सकेंगे।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
वर्तमान में, भले ही किसी व्यक्ति की आय टैक्स योग्य न हो, अगर कंपनी ने TDS काटा है तो उसे पूरा ITR फॉर्म भरकर रिफंड क्लेम करना पड़ता है। यह प्रक्रिया समय लेने वाली और तकनीकी समझ की मांग करती है, जिससे कई करदाता हिचकिचाते हैं या रिफंड क्लेम ही नहीं करते।
अब, CBDT (Central Board of Direct Taxes) एक नया फॉर्म डिजाइन कर रहा है जो कि फॉर्म 26AS में मौजूद डेटा के आधार पर TDS की जानकारी स्वतः ले लेगा। इससे करदाता को सिर्फ कुछ बुनियादी जानकारी भरनी होगी और वह रिफंड के लिए पात्र हो जाएगा।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सोर्स-गूगल)
नए सिस्टम से किन्हें होगा लाभ?
नया प्रस्ताव खासकर उन करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा जिनकी सालाना आय ₹12.75 लाख या उससे कम है, और वे नई कर व्यवस्था को चुनते हैं। कभी-कभी दस्तावेज़ जमा न करने की स्थिति में कंपनियां TDS काट लेती हैं, जिससे रिफंड क्लेम करना एक अनावश्यक झंझट बन जाता है। अब यह प्रक्रिया स्वतःस्फूर्त और डिजिटल होगी।
डेटा एक्सेस और पारदर्शिता
कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि आयकर अधिकारियों को कर प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए करदाताओं के डिजिटल डिवाइसेज़ और वित्तीय डेटा तक पहुंच प्रदान की जाए। यह नया नियम बजट 2025-26 के पारित होने के बाद 1 अप्रैल, 2026 से लागू हो सकता है।