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GST रेट कटौती से सरकार पर कितना बढ़ेगा सरकार पर बोझ? CRISIL रिपोर्ट ने किया स्पष्ट

GST रेट में हालिया कटौती पर CRISIL की रिपोर्ट ने सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ने की अटकलों को खारिज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, रेट्स को तर्कसंगत बनाने से टैक्स कलेक्शन मजबूत होगा और उपभोक्ताओं की आय बढ़ेगी।
Post Published By: ईशा त्यागी
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GST रेट कटौती से सरकार पर कितना बढ़ेगा सरकार पर बोझ? CRISIL रिपोर्ट ने किया स्पष्ट

New Delhi: जीएसटी रेट्स में हाल ही में किए गए बदलावों को लेकर यह बहस छिड़ गई थी कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा या नहीं। लेकिन अब देश की प्रमुख रेटिंग एजेंसी CRISIL ने अपनी रिपोर्ट में इन सभी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, GST स्लैब्स को तर्कसंगत बनाने से न केवल टैक्स कलेक्शन बेहतर होगा, बल्कि मध्यम अवधि में सरकार को राजस्व का कोई बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।

सभी दावों को इस रिपोर्ट ने किया खारिज

केंद्र सरकार ने GST रिफॉर्म 2.0 के तहत टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाते हुए 22 सितंबर 2025 से दो प्रमुख टैक्स स्लैब- 5% और 18% लागू करने का ऐलान किया था। इसके तहत कई गुड्स और सर्विसेज पर टैक्स घटाया गया, जिससे इनकी कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है।

हालांकि, राज्यों ने इस फैसले पर चिंता जताई थी कि इससे उनकी कमाई पर असर पड़ सकता है। इस पर केंद्र सरकार ने भी माना कि अल्पावधि में करीब ₹48,000 करोड़ का घाटा हो सकता है। लेकिन CRISIL का कहना है कि जब पिछले वित्तीय वर्ष में ₹10.6 लाख करोड़ का कुल GST कलेक्शन हुआ है, तो यह घाटा मामूली है।

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक GST से होने वाली 70-75% कमाई 18% स्लैब से आती रही है, जबकि 12% स्लैब से केवल 5-6%, और 28% स्लैब से 13-15% टैक्स कलेक्शन हुआ करता था। अब 12% स्लैब को हटाकर संबंधित वस्तुओं को 5% या 18% में डालने से कर संग्रह में अस्थायी गिरावट जरूर हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में यह लाभदायक साबित होगी।

उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा सीधा असर

CRISIL का कहना है कि टैक्स दरों की सरलता से गुड्स और सर्विसेज औपचारिक कर ढांचे में आएंगी, जिससे टैक्स चोरी रुकेगी और डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा मिलेगा। इससे सरकार का मध्यम अवधि में टैक्स बेस मजबूत होगा।

इसके अलावा, मोबाइल सर्विसेज जैसी बढ़ती सेवाओं की दरें बरकरार रखी गई हैं, जबकि ई-कॉमर्स डिलीवरी और डिजिटल सब्सक्रिप्शन जैसी नई सेवाओं को 18% स्लैब में शामिल किया गया है। इससे टेक सेक्टर से भी टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी की संभावना है।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टैक्स में कटौती से उपभोक्ताओं की वास्तविक आय में वृद्धि होगी, जिससे मांग को बल मिलेगा। हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उत्पादक टैक्स रेट में कटौती का लाभ किस हद तक ग्राहकों को पास-ऑन करते हैं।

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अंततः CRISIL की यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि सरकार द्वारा लागू किया गया GST 2.0 रिफॉर्म न सिर्फ टैक्स सिस्टम को सरल बनाएगा, बल्कि यह आर्थिक अनुशासन के साथ विकास का रास्ता भी खोलेगा।

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