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ईपीएफओ ने अंशधारकों के लिए कई महत्वपूर्ण बदलावों का ऐलान किया, जिसमें अब 100% तक निकासी, आंशिक निकासी के लिए सरल प्रक्रिया और पेंशनधारकों के लिए डिजिटल सेवाएं शामिल हैं। ईपीएफओ ने निकासी सेवाओं को भी स्वचालित किया है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सोमवार को अपने सात करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा की। इन फैसलों में आंशिक निकासी की व्यवस्था को सरल बनाने, ब्याज दरों में सुधार, और डिजिटल सेवाओं में सुधार शामिल है। श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुए बैठक में ईपीएफओ की केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने ये फैसले लिए। इन फैसलों से कर्मचारियों के जीवन में सुधार आने की संभावना है, जिससे पीएफ निकासी और संबंधित प्रक्रियाओं में बड़ी राहत मिलेगी।
श्रम मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इन बदलावों से पीएफ निकासी की प्रक्रिया में सुधार होगा और अंशधारकों को जल्दी और सरल तरीके से अपने पीएफ का उपयोग करने का अवसर मिलेगा। कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब वे 100 प्रतिशत तक का निकासी कर सकते हैं, यानी अब अपने पूरे पीएफ खाते का पैसा निकालने का विकल्प मिल सकेगा।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
सीबीटी द्वारा किए गए निर्णयों में सबसे अहम फैसला आंशिक निकासी के नियमों में बदलाव है। पहले जहां ईपीएफ खाते से निकासी के लिए जटिल प्रक्रिया और कई प्रावधान थे, अब इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
1. आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह)
2. हाउसिंग जरूरतें (घर की खरीद, मरम्मत आदि)
3. विशेष परिस्थितियां (जैसे बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदाएं)
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अब अंशधारकों के लिए निकासी की न्यूनतम सेवा अवधि को घटाकर 12 महीने कर दिया गया है। पहले जहां अंशधारकों को निकासी के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती थी, अब वे महज 12 महीने की सेवा के बाद अपने पीएफ खाते से पैसे निकाल सकते हैं। इसके अलावा, शादी के लिए 5 बार और शिक्षा के लिए 10 बार निकासी की अनुमति दी गई है, जबकि पहले यह सीमा केवल तीन बार थी।
अब अंशधारक विशेष परिस्थितियों के तहत बिना किसी कारण के भी अपनी राशि निकाल सकते हैं। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो अप्रत्याशित संकटों या परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, जैसे बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदाएं आदि। इससे पहले ऐसे मामलों में निकासी के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था।
ईपीएफओ ने एक नई विश्वास योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य लंबित मामलों और भारी जुर्माने की राशि को घटाना है। वर्तमान में ₹2,406 करोड़ का जुर्माना और 6,000 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। अब ईपीएफओ ने जुर्माना दर को घटाकर 1% प्रति माह कर दिया है। इसके अलावा, 2 महीने की देरी पर 0.25%, 4 महीने की देरी पर 0.50% जुर्माना तय किया गया है। यह योजना छह महीने तक चलने वाली है और जरूरत पड़ने पर इसे छह महीने और बढ़ाया जा सकता है।
ईपीएफओ ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत पेंशनधारक अब घर बैठे डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) जमा कर सकेंगे। यह सुविधा ईपीएस-95 पेंशनधारकों को मुफ्त में दी जाएगी, जिससे पेंशन प्राप्त करने की प्रक्रिया को और अधिक सरल और डिजिटल बनाया जाएगा।
EPFO 3.0 के तहत ईपीएफओ ने एक नया क्लाउड-बेस्ड डिजिटल फ्रेमवर्क को मंजूरी दी है। इस फ्रेमवर्क से कर्मचारियों को तेज, पारदर्शी और स्वचालित सेवाएं मिलेंगी। इसके अलावा, चार नए फंड मैनेजर्स को नियुक्त किया गया है, ताकि निवेश पोर्टफोलियो को अधिक सुरक्षित और विविध बनाया जा सके।
1. कुल राशि की निकासी की अनुमति- अब ईपीएफ खाते से पूरी राशि निकाली जा सकती है।
2. आंशिक निकासी के लिए 3 श्रेणियां- आवश्यक जरूरतें, हाउसिंग और विशेष परिस्थितियां।
3. शिक्षा और विवाह के लिए अधिक बार निकासी- शिक्षा के लिए 10 बार, विवाह के लिए 5 बार।
4. न्यूनतम सेवा अवधि 12 महीने- आंशिक निकासी के लिए अब केवल 12 महीने की सेवा अनिवार्य।
5. विशेष परिस्थितियों में बिना कारण के निकासी- अब बिना कारण बताए निकासी संभव।
6. मिनिमम बैलेंस का नियम- 25% राशि न्यूनतम बैलेंस के रूप में रखनी होगी।
7. ऑटोमैटिक क्लेम सेटलमेंट- आंशिक निकासी की प्रक्रिया अब पूरी तरह से ऑटोमेटेड होगी।
8. पेंशन निकासी के लिए 36 महीने- पेंशन निकासी अवधि को बढ़ाकर 36 महीने किया गया।
9. विश्वास योजना से जुर्माना में राहत- जुर्माना दर घटाकर 1% प्रति माह की गई।
10. डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट सुविधा- पेंशनधारक अब घर बैठे DLC जमा कर सकेंगे।
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