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डिजिटल गोल्ड की लोकप्रियता के बीच सेबी ने निवेशकों को अलर्ट जारी किया है। सेबी ने कहा कि ई-गोल्ड उसके रेगुलेटरी दायरे में नहीं आता, इसलिए निवेशक किसी सुरक्षा कवच के तहत नहीं हैं। विशेषज्ञों ने निवेश के लिए रेगुलेटेड माध्यमों को चुनने की सलाह दी है।
डिजिटल गोल्ड में निवेश से बचें!
New Delhi: भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के साथ अब सोने में निवेश का तरीका भी बदल गया है। आज यूपीआई (UPI) ऐप्स से लेकर बड़े-बड़े ज्वेलरी ब्रांड तक, हर जगह डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) की बिक्री जोरों पर है। महज 10 रु खर्च करके कोई भी व्यक्ति 24 कैरेट गोल्ड का एक अंश खरीद सकता है।
लेकिन, इस चमकदार ऑफर के पीछे एक बड़ा खतरा भी छिपा है। देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि डिजिटल गोल्ड फिलहाल उसके रेगुलेटरी दायरे में नहीं आता, यानी इसमें निवेश करने वालों को कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी।
हाल के महीनों में डिजिटल गोल्ड की खरीदारी में जोरदार उछाल देखने को मिला है। पेटीएम, फोनपे, गूगल पे, अमेजन पे और ग्रो जैसे ऐप्स पर यह सबसे पॉपुलर इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट बन चुका है। लेकिन इस तेजी के बीच सेबी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ई-गोल्ड उत्पाद न तो सिक्योरिटीज की श्रेणी में आते हैं और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स के रूप में रेगुलेटेड हैं।
सेबी के मुताबिक, “कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म निवेशकों को ई-गोल्ड की पेशकश कर रहे हैं, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। ऐसे निवेशकों को सेबी-रेगुलेटेड मार्केट में मिलने वाले सुरक्षा उपायों का लाभ नहीं मिलेगा।”
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सेबी की चेतावनी बेहद साफ है कि अगर किसी निवेशक के पैसे ई-गोल्ड खरीदारी में फंस जाते हैं या कंपनी गोल्ड डिलीवर करने से इनकार करती है, तो उस व्यक्ति को किसी तरह की कानूनी सहायता नहीं मिलेगी। यानी ‘नो रेगुलेशन, नो प्रोटेक्शन’ की स्थिति होगी। वर्तमान में ई-गोल्ड खरीदने वालों को कोई इंवेस्टर प्रोटेक्शन स्कीम उपलब्ध नहीं है।
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड या E-Gold खास तौर पर युवाओं और पहली बार निवेश करने वालों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप बहुत छोटी रकम से सोने में निवेश कर सकते हैं। पारंपरिक रूप से जहां एक ग्राम सोने की कीमत 7000 रु के आसपास होती है, वहीं ई-गोल्ड में 10 रु से भी शुरुआत की जा सकती है।
जितनी रकम आप निवेश करते हैं, उतनी मात्रा का फिजिकल गोल्ड प्लेटफॉर्म अपनी वॉल्ट में रिजर्व रखता है। निवेशक इसे बाद में बेच भी सकते हैं या फिर सिक्के या गोल्ड बार के रूप में डिलीवर भी करवा सकते हैं।
भारत में फिलहाल डिजिटल गोल्ड की बिक्री करने वाली प्रमुख कंपनियों में MMTC-PAMP, SafeGold और Augmont Gold शामिल हैं। ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को Google Pay, Paytm, PhonePe, Amazon Pay, Grow, Airtel Payments Bank, Jio Gold जैसे फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के जरिए बेचती हैं। इसके अलावा Tanishq DigiGold, CaratLane, Jos Alukkas, PC Jewellers जैसे ज्वेलरी ब्रांड भी अपने प्लेटफॉर्म पर ई-गोल्ड की पेशकश करते हैं।
फिनटेक विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल गोल्ड सुविधा तो देता है, लेकिन जोखिम भी उतना ही बड़ा है। फिलहाल इसे कोई सरकारी या नियामक निकाय नियंत्रित नहीं करता। यानी, गोल्ड की शुद्धता, सुरक्षा और भंडारण की पारदर्शिता की कोई गारंटी नहीं है। अतीत में भी कई ज्वेलर्स द्वारा चलाई गई सेविंग स्कीम्स (Gold Savings Schemes) नियामक सुरक्षा के अभाव में विवादों में घिरीं। कई कंपनियों के बंद होने के बाद ग्राहकों के पैसे फंस गए, और उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाई।
सेबी ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे गोल्ड में निवेश के लिए रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करें। इसमें दो प्रमुख विकल्प हैं।
1. Gold ETFs (Exchange Traded Funds)- ये फंड स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होते हैं और इनके निवेशक सेबी के दायरे में आते हैं।
2. EGR (Electronic Gold Receipts)- यह हाल ही में शुरू की गई योजना है, जिसमें फिजिकल गोल्ड के बदले इलेक्ट्रॉनिक रिसीट जारी की जाती है। ये पूरी तरह से सेबी द्वारा नियंत्रित हैं।