

भारतीय रेल ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor) के तहत बिहार के सोननगर से पश्चिम बंगाल के अंडाल और डानकुनी तक की मालवाहक रेल परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। संसद के मॉनसून सत्र में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में जानकारी दी कि 12,334 करोड़ रुपये की लागत वाली सोननगर-अंडाल परियोजना में 95% भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और कार्य भी प्रारंभ हो चुका है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
Bihar News: भारतीय रेल देश के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के तहत 375 किमी लंबे सोननगर-अंडाल और 160 किमी लंबे अंडाल-डानकुनी खंड को मल्टीट्रैकिंग परियोजना के रूप में तेजी से विकसित किया जा रहा है।
रेल मंत्री ने दी जानकारी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि सोननगर-अंडाल परियोजना के लिए 977.6 हेक्टेयर में से 95% से अधिक भूमि अधिग्रहण हो चुका है और परियोजना पर कार्य भी शुरू हो गया है। यह खंड माल परिवहन के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, जो बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच तेज और निर्बाध माल ढुलाई सुनिश्चित करेगा।
अंडाल-डानकुनी खंड में लाइन विस्तार को मंजूरी
रेल मंत्री ने जानकारी दी कि अंडाल-डानकुनी खंड में अधिकांश जगहों पर चार ट्रैक होंगे, जबकि चंदनपुर से शक्तिगढ़ के बीच (43 किमी) केवल तीन लाइनें हैं। यहां चौथी लाइन जोड़ने के लिए 700 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, अंडाल से शक्तिगढ़ (91 किमी) तक 5वीं और 6वीं लाइन जोड़ने के लिए डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने की अनुमति भी मिल गई है, जो भविष्य में इस मार्ग की क्षमता को दोगुना करने में सहायक होगा।
परियोजनाओं में आने वाली चुनौतियां और समाधान
रेल मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इन परियोजनाओं को पूर्ण करने में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं, जिनमें शामिल हैं।
• भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
• वन विभाग से मंजूरी
• राज्य सरकारों के साथ लागत साझाकरण
• स्थानीय कानून-व्यवस्था और मौसम संबंधी बाधाएं
हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे इन परियोजनाओं को प्राथमिकता पर लेकर हरसंभव तेजी से पूरा करने का प्रयास कर रहा है।
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