Bihar Election: साथ भी, अलग भी… 28 साल में कितनी बार बदला रास्ता, क्या 2025 में फिर साथ होंगे राजद-कांग्रेस?

बिहार की चुनावी राजनीति में विपक्षी गठबंधन INDI में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के रिश्ते एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 26 May 2025, 1:29 PM IST
google-preferred

बिहार: बिहार की राजनीति में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो चुकी है। जहां एनडीए (भाजपा, जदयू, लोजपा) एकजुटता का दावा कर रहा है, वहीं विपक्षी गठबंधन INDI में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के रिश्ते एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 28 साल पुराना यह रिश्ता कई बार साथ चला, कई बार टूटा। सवाल यह है कि राजद और कांग्रेस का यह "कभी हां-कभी न" वाला गठबंधन कितना असर डालता है?

कभी बिहार की 'बेताज बादशाह' थी कांग्रेस

आज जिस कांग्रेस को बिहार में गठबंधन के सहारे चुनाव लड़ना पड़ता है, वह एक दौर में राज्य की सबसे मजबूत पार्टी हुआ करती थी। आजादी के बाद 1947 से लेकर 1967 तक कांग्रेस का लगातार शासन रहा। श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह जैसे नेता इस दौर के चेहरे रहे। 1977 तक कांग्रेस सत्ता में बनी रही, लेकिन जनता पार्टी के उभार और इमरजेंसी के असर ने उसकी पकड़ कमजोर कर दी।

1990 के बाद कांग्रेस की गिरावट और लालू का उदय

बिहार में कांग्रेस के पतन की शुरुआत 1989 के भागलपुर दंगों से मानी जाती है, जिसमें सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठे। 1990 में जनता दल के नेतृत्व में लालू यादव सत्ता में आए और मंडल आयोग लागू कर सामाजिक न्याय की राजनीति का नया आधार गढ़ा। मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण ने उन्हें मजबूत किया और कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई।

Bihar Politics

RJD सुप्रीमो लालू यादव

गठबंधन की शुरुआत

1997 में संकट के समय कांग्रेस राजद की सहयोगी बनी, जब चारा घोटाले के चलते 1997 में लालू यादव को जनता दल से अलग होकर राजद बनाना पड़ा, तब विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती खड़ी हो गई। इस कठिन समय में कांग्रेस ने लालू का साथ दिया और राजद की सरकार बची। यहीं से कांग्रेस-राजद गठबंधन की नींव पड़ी।

1998 में पहली बार लोकसभा चुनाव में साथ उतरे

1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद पहली बार गठबंधन में साथ लड़े। कांग्रेस को 8 सीटें दी गईं और उसने 4 पर जीत दर्ज की। यह साझेदारी आगे भी जारी रही, लेकिन बीच-बीच में खटास भी बढ़ी।

2000 में विधानसभा में अलग-अलग लड़े, बाद में समर्थन मिला

2000 के विधानसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग लड़े। कांग्रेस को 23 सीटें मिलीं, जबकि राजद 124 सीटों पर रही। हालांकि, चुनाव के बाद कांग्रेस ने राजद को समर्थन देकर राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने में मदद की।

2004 में केंद्र में यूपीए का गठन, बिहार में फिर साथ

2004 के लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस और लोजपा साथ आए। कांग्रेस को चार सीटें दी गईं और तीन पर जीत मिली। केंद्र में यूपीए सरकार बनी और लालू यादव व पासवान मंत्री बने।

2005 में साथ नहीं आए

फरवरी 2005 में कांग्रेस और लोजपा अलग होकर चुनाव लड़े। नतीजा, कोई भी सरकार नहीं बना सका। अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुए, कांग्रेस-राजद साथ आए लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। एनडीए की सरकार बनी और नीतीश युग की शुरुआत हुई।

2010 और 2014 में फिर अलग, कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक

2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले लड़ी और महज 4 सीटें हासिल कीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह राजद के साथ तो रही, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर में दोनों ही दलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा।

2015 में 'महागठबंधन' बना कांग्रेस के लिए संजीवनी

2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस और नीतीश की जदयू ने मिलकर महागठबंधन बनाया। यह गठबंधन मोदी विरोध के नाम पर बेहद सफल रहा। राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं — यह कांग्रेस का 20 वर्षों में सबसे अच्छा प्रदर्शन था।

Bihar Politics

बिहार में कांग्रेस-राजद

2019 में लोकसभा में फिर झटका

2019 में कांग्रेस और राजद साथ रहे, लेकिन मोदी लहर के आगे टिक नहीं पाए। राजद खाता भी नहीं खोल पाया, जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली।

2020 में गठबंधन बरकरार, लेकिन नतीजे मिले-जुले

2020 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दल साथ रहे। राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 जीते। हालांकि, गठबंधन सरकार नहीं बना सका और एनडीए ने 125 सीटों के साथ बहुमत पा लिया।

2024 तक की राजनीति और टूटे-बने समीकरण

2020 के बाद से बिहार की राजनीति में कई मोड़ आए। नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाई, फिर 2024 में दोबारा एनडीए से हाथ मिला लिया। इस अस्थिरता ने राज्य में गठबंधन की राजनीति को लगातार प्रभावित किया।

क्या 2025 में फिर साथ आएंगे राजद-कांग्रेस?

2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। अब तक की बैठकों से साफ है कि राजद और कांग्रेस फिर से गठबंधन में उतरने की तैयारी में हैं। कांग्रेस राज्य में अब भी अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है और राजद के सहारे खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चाहती है। दूसरी ओर, राजद को भी कांग्रेस के वोट बैंक (अल्पसंख्यक, परंपरागत वोटर) की जरूरत है।

बिहार में कांग्रेस और राजद के गठबंधन की कहानी भरोसे, सियासी मजबूरियों और अवसरवाद का मिला-जुला रूप है। कांग्रेस जो एक समय बिहार की सबसे मजबूत पार्टी थी, आज "सहयोगी दल" बनकर चुनाव लड़ने को मजबूर है। वहीं, राजद भी बिना गठबंधन सत्ता के दरवाजे तक पहुंचने में कई बार चूकता रहा है।

2025 के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह 'कभी साथ-कभी अलग' की कहानी इस बार किस करवट बैठती है- स्थायित्व की ओर बढ़ती है या फिर एक और मोड़ लेती है।

Location : 

Published :