

नगर पालिका परिषद सिसवा में स्थित ऐतिहासिक ‘कानपुर गुड़ गोदाम’ की संपत्ति को लेकर नगर क्षेत्र में विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में पीड़ित रिटारयर्ड कैप्टन मानवेंद्र सिंह निवासी स्टेट चौक, सिसवा बाजार ने नगर पालिका परिषद पर उनकी पुश्तैनी संपत्ति में अनधिकृत हस्तक्षेप और भूमि की नवैयत बदलने का आरोप लगाया है।
कैप्टन ने नगर पालिका पर लगाया बड़ा आरोप
महराजगंज: नगर पालिका परिषद सिसवा में स्थित ऐतिहासिक 'कानपुर गुड़ गोदाम' की संपत्ति को लेकर नगर क्षेत्र में विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में पीड़ित रिटारयर्ड कैप्टन मानवेंद्र सिंह निवासी स्टेट चौक, सिसवा बाजार ने नगर पालिका परिषद पर उनकी पुश्तैनी संपत्ति में अनधिकृत हस्तक्षेप और भूमि की नवैयत बदलने का आरोप लगाया है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता से बातचीत के दौरान रिटारयर्ड कैप्टन मानवेंद्र सिंह ने प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर बताया कि गुड़ गोदाम की यह संपत्ति मूलतः उनके पूर्वजों बाबू विशुनदयाल सिंह, बाबू नवलकिशोर सिंह, बाबू इन्द्रजीत सिंह और बाबू परमहंस सिंह के नाम दर्ज रही है।
फसली वर्ष 1322 में यह भूमि खाता संख्या 302 से 309 के अंतर्गत थी, जो बाद में चकबंदी में संख्या 576 में दर्ज हो गई। उक्त जमीन पर कानपुर शुगर वर्क्स ने वर्ष 1921 में पट्टे पर गोदाम बनवाया, जो 1944 में मिल बंद होने के बाद उनके पूर्वजों को सौंप दी गई।
वर्ष 1947 में 12,750 रुपए में रजिस्टर्ड बैनामा द्वारा यह संपत्ति कानूनी रूप से उनके नाम हो गई। इसके पश्चात यह संपत्ति लगातार उनके कब्जे में रही है और समय-समय पर विभिन्न किरायेदारों को किराए पर दी जाती रही है। इसमें विकास खंड कार्यालय (1962-1987), सेंट जोसेफ स्कूल, पशु चिकित्साधिकारी, लेखपाल, और यूपी शुगर कॉर्पोरेशन जैसे संस्थान शामिल रहे हैं। किराया वसूली की रसीदें, इकरारनामे और संपत्ति कर के दस्तावेज पीड़ित के पक्ष में मौजूद हैं।
मानवेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार द्वारा अब जबरन संपत्ति में हस्तक्षेप किया जा रहा है और उसकी स्थिति बदलने की कोशिश की जा रही है। जबकि नगर पालिका खुद पीड़ित से गृहकर और जल कर वसूलती रही है और उसके रजिस्टर में भी यह संपत्ति मानवेंद्र सिंह के भाई शिवेन्द्र सिंह के नाम दर्ज है।
पीड़ित मानवेंद्र और शिवेंद्र ने जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है ताकि उनकी पुश्तैनी संपत्ति पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा या तोड़फोड़ न हो सके।