

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर शिकंजा कसा है। इसका पूरा विश्लेषण देखें देश के जाने-माने पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के स्पेशल शो “The MTA Speaks” पर
नई दिल्ली: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट में 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों के ठेके में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने तीन साल की जांच के बाद मलिक और पांच अन्य लोगों को आरोपी बनाते हुए विशेष अदालत के सामने चार्जशीट दाखिल किया। वहीं सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह अस्पताल में भर्ती हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। पूर्व राज्यपाल ने कहा कि उन्हें कई शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं, जिन्हें उठाने में वह असमर्थ हैं
देश के जाने-माने पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने स्पेशल शो "The MTA Speaks" में इसका विश्लेषण करते हुए कहा कि, सीबीआई ने पिछले वर्ष फरवरी में मामले के सिलसिले में मलिक और अन्य लोगों के परिसरों पर छापेमारी की थी। सीबीआई ने 2022 में एफआईआर दर्ज करने के बाद एक बयान में कहा था कि यह मामला 2019 में ‘किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर’ (एचईपी) परियोजना के सिविल कार्यों के लगभग 2,200 करोड़ रुपये के ठेके को एक निजी कंपनी को देने में कथित गड़बड़ी से संबंधित है।
नमस्कार साथियों। मेरे बहुत से शुभचिंतकों के फ़ोन आ रहे हैं जिन्हें उठाने में मैं असमर्थ हूं। अभी मेरी हालत बहुत खराब है मैं किसी से भी बात करने की हालत में नहीं हूं। 11 मई से राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती हू। संक्रमण की शिकायत के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था। अब स्थिति बहुत गंभीर है और पिछले तीन दिनों से किडनी डायलिसिस की जा रही है।
मलिक 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे थे। मलिक ने दावा किया था कि उन्हें परियोजना से संबंधित एक फाइल सहित दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। एजेंसी की ओर से पिछले साल छापेमारी किये जाने के बाद मलिक ने उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया था। सत्यपाल मलिक ने तब क्या कहा था जिन लोगों के बारे में उन्होंने शिकायत की थी और जो भ्रष्टाचार में शामिल थे, उनकी जांच करने के बजाय सीबीआई ने उनके आवास पर छापा मारा। पूर्व राज्यपाल ने पोस्ट में कहा था कि उन्हें (सीबीआई अधिकारियों को) चार से पांच कुर्ते और पायजामा के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। तानाशाह सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुझे डराने की कोशिश कर रहा है। मैं एक किसान का बेटा हूं, मैं न तो डरूंगा और न ही झुकूंगा। CBI की चार्जशीट के अनुसार, परियोजना से संबंधित टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और जानबूझकर कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप है। यह प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर में विकास के लिहाज़ से अहम माना जाता है।
फरवरी 2024 में सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान सत्यपाल मलिक के दिल्ली स्थित आवासों और जम्मू-कश्मीर में परिसरों सहित 30 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली थी। किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित है। प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए किया जा रहा है। सीबीआई जांच के अनुसार परियोजना के सिविल वर्क्स के लिए टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं पाई गईं। CVPPPL की 47वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया था कि टेंडर प्रक्रिया ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन के ज़रिए दोबारा कराई जाएगी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इसके बजाय ठेका सीधे पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया। चार्जशीट में इन लोगों के नाम केंद्रीय एजेंसी ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी, एम एस बाबू, एम के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों के अलावा निर्माण कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
भाजपा ने सत्यपाल मलिक को बहुत कुछ दिया है। सवाल है कि आखिर सत्यपाल मलिक ऐसा क्यों कर रहे हैं? वो भी ऐसी पार्टी के ख़िलाफ़ जिसने उन्हें न सिर्फ़ लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से लेकर चार राज्यों के राज्यपाल का पद तक दिया. उनके बयानों से, भारतीय जनता पार्टी को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
सत्यपाल मलिक ख़ुद को लोहियावादी बताते हैं। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर उन्होंने छात्र नेता के रूप में मेरठ कॉलेज छात्रसंघ से शुरुआत की। इसका जन्म उत्तर प्रदेश में बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ। सत्यपाल मलिक को राजनीति में लाने का काम चौधरी चरण सिंह ने किया। 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की टिकट पर बागपत विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज़ 28 साल की उम्र में विधानसभा पहुंच गए। पहला विधानसभा चुनाव सत्यपाल मलिक ने क़रीब दस हजार वोटों के अंतर से जीता था। 1980 में लोकदल पार्टी से राज्यसभा पहुंचे, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने उस कांग्रेस का दामन थाम लिया जिसके शासनकाल में लगी इमरजेंसी का विरोध करने पर वो जेल गए थे। 1987 में राजीव गांधी पर बोफ़ोर्स घोटाले का आरोप लगा, जिसके ख़िलाफ़ वीपी सिंह ने मोर्चा खोल दिया और इसमें सत्यपाल मलिक ने उनका साथ दिया।
कांग्रेस छोड़ सत्यपाल मलिक ने जन मोर्चा पार्टी बनाई जो साल 1988 में जनता दल में मिल गई। 1989 में देश में आम चुनाव हुए। सत्यपाल मलिक ने यूपी की अलीगढ़ सीट से चुनाव लड़ा और पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और अलीगढ़ से चुनाव लड़ा। क़रीब तीस साल सत्यपाल मलिक मौटे तौर पर समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे, लेकिन 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी की टिकट पर चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के ख़िलाफ़ बागपत से चुनाव लड़े। यह चुनाव भी उनकी जाट नेता की अस्मिता के लिए एक परीक्षा की तरह था, लेकिन इसमें वे फ़ेल साबित हुए। अजीत सिंह को क़रीब तीन लाख पचास हजार वोट पड़े तो तीसरे नबंर पर रहे सत्यपाल मलिक को मात्र एक लाख वोट ही मिल सके 2005-2006 में उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष और 2009 में भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा का ऑल इंडिया इंचार्ज बनाया गया। बीजेपी ने हार के बावजूद सत्यपाल मलिक को अपने साथ रखा। 2012 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। ये वो दौर था जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी ज़मीन तलाश रही थी और उसे एक जाट लीडर की तलाश थी। उसी समय सत्यपाल मलिक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यक्तिगत संवाद हुआ और संबंध बना।
2014 में बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर आए और 30 सितंबर 2017 को उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। 11 महीने बिहार का राज्यपाल रहने के बाद अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग हुई, जिसके बाद राज्य का सारा एडमिनिस्ट्रेशन उनके हाथ में आ गया। इसी दौरान पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक वे गोवा के और अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक वे मेघालय के राज्यपाल रहे।
सत्यपाल मलिक की सियासत को क़रीब से देखने वाले लोगों का कहना है कि वे मिज़ाज से मुंहफट आदमी हैं और उनके दिल में जो होता है वो कह देते हैं। कहा जाता है कि राजभवन में हस्तक्षेप के कारण उनका पद से मोहभंग हो गया। राजनीति बड़ी विचित्र चीज है, जिस पार्टी ने उन्हे बहुत कुछ दिया, अंत में उसी के खिलाफ हो गये हैं, ऐसे में सवाल यह है कि राजनीति में भरोसा करें तो किस पर करें।