अरावली पर्वतमाला को लेकर जारी विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 के अपने आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने नई परिभाषा और खनन नीतियों पर पुनर्विचार की जरूरत बताई है। 21 जनवरी 2026 तक खनन पर रोक रहेगी।

New Delhi: अरावली पर्वत श्रृंखला की नई परिभाषा को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम हस्तक्षेप किया है। अदालत ने 20 नवंबर 2025 के उस आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें अरावली को केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची पहाड़ियों तक सीमित किया गया था। कोर्ट का मानना है कि इस परिभाषा के दूरगामी पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं, जिनका गहन मूल्यांकन जरूरी है।
इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं। तब तक किसी भी तरह की खनन गतिविधि पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही एक हाई-पावर्ड विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं, जो मौजूदा रिपोर्ट का विश्लेषण कर अदालत को स्पष्ट सुझाव देगी।
New Delhi: अरावली पर्वत श्रृंखला की नई परिभाषा को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम हस्तक्षेप किया है। अदालत ने 20 नवंबर 2025 के उस आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें अरावली को केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची पहाड़ियों तक सीमित किया गया था। कोर्ट का मानना है कि इस परिभाषा के दूरगामी पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं, जिनका गहन मूल्यांकन जरूरी है।
इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं। तब तक किसी भी तरह की खनन गतिविधि पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही एक हाई-पावर्ड विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं, जो मौजूदा रिपोर्ट का विश्लेषण कर अदालत को स्पष्ट सुझाव देगी।