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Chamoli: धौली गंगा में बन रही झील ने बढ़ाया खतरा, वैज्ञानिक बोले- कभी भी आ सकती बड़ी आपदा

उत्तराखंड के चमोली जिले की नीती घाटी में धौली गंगा नदी में एक झील का निर्माण हो रहा है, जिसे भूविज्ञानी गंभीर खतरा मान रहे हैं। इस झील के बनने से निचले इलाकों में बड़ी आपदा का खतरा हो सकता है, क्योंकि यह इलाके भूस्खलन और बाढ़ के लिए संवेदनशील हैं।
Post Published By: ईशा त्यागी
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Chamoli: धौली गंगा में बन रही झील ने बढ़ाया खतरा, वैज्ञानिक बोले- कभी भी आ सकती बड़ी आपदा

Chamoli: उत्तराखंड के चमोली जिले की नीती घाटी में धौली गंगा नदी में एक झील बन रही है, जिसे भूविज्ञानी एक गंभीर खतरे के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यदि इस झील का आकार बढ़ता रहा, तो भविष्य में यह निचले इलाकों में बड़ी तबाही का कारण बन सकती है। प्रो. एमपीएस बिष्ट, जो इस क्षेत्र में 1986 से भूगर्भीय सर्वे कर रहे हैं, उन्होंने हाल ही में इस झील के निर्माण को देखा और इसके गंभीर परिणामों के बारे में चेतावनी दी है।

कैसे बनी झील?

प्रो. बिष्ट के अनुसार, नीती घाटी में तमंग नाला और गांखुयी गाड के मिलने से धौली गंगा नदी में झील का निर्माण हो रहा है। इस वर्ष अगस्त में भारी बारिश और हिमस्खलन के दौरान, तमंग नाले पर बना एक 50 मीटर लंबा आरसीसी पुल बहकर नदी में गिर गया, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ और पानी ठहरने लगा। हालांकि, झील से कुछ पानी का रिसाव हो रहा है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है।

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भूगर्भीय संवेदनशीलता और खतरे का दायरा

यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील है। यहां की ढलानों पर पुरानी ग्लेशियर मलबे की ढेरियां मौजूद हैं, जो थोड़ी सी नमी या झटके से खिसक सकती हैं। इससे भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और एवलांच जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। प्रो. बिष्ट ने चेतावनी दी है कि यदि इन घटनाओं पर निगरानी नहीं रखी गई, तो आने वाले समय में बड़ा हादसा हो सकता है।

धौली गंगा नदी (सोर्स- गूगल)

2001-02 में आई थी बड़ी तबाही

प्रो. बिष्ट के अनुसार, 2001-02 में धौली गंगा और तमंग नाले के उफान से स्याग्री गांव को भारी नुकसान हुआ था। 2003 में यह गांव पूरी तरह मलबे में दब गया था। हालांकि, आज इस स्थान पर घना जंगल उग आया है, लेकिन खतरा वहीं का वहीं है। इस बार भी यदि यह झील उफनती है, तो आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही हो सकती है।

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निगरानी जरूरी

प्रो. बिष्ट का कहना है कि ऐसी झीलों की नियमित निगरानी करना और आवश्यकतानुसार इन्हें खाली करना बेहद जरूरी है। केवल निगरानी और त्वरित कार्रवाई से ही भविष्य में ऐसी आपदाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है।

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