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वन क्षेत्र ने रोका राहत का रास्ता! धराली आपदा पीड़ितों के पुनर्वास पर अटकी फाइलें

उत्तरकाशी के धराली गांव आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्रशासन को छह स्थानों की सूची मिली। पांच स्थान वन क्षेत्र में होने और एक यूजेवीएनएल की भूमि होने के कारण भूमि उपलब्ध कराना अभी चुनौती बना हुआ है। पढ़िये पूरी खबर
Post Published By: ईशा त्यागी
Published:
वन क्षेत्र ने रोका राहत का रास्ता! धराली आपदा पीड़ितों के पुनर्वास पर अटकी फाइलें

Uttarkashi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को खीर गंगा में आए मलबे के बाद प्रभावित परिवारों का पुनर्वास प्रशासन के लिए अब भी चुनौती बना हुआ है। ग्रामीणों ने छह संभावित स्थानों की सूची प्रशासन को सौंपी, लेकिन भूमि उपलब्ध कराना आसान नहीं है।

छह स्थानों का विवरण

धराली प्रधान अजय नेगी के अनुसार ग्रामीणों ने भैरो घाटी, लंका के बीच अखोड़ थातर, भैरोघाटी, कोपांग, जांगला, डबरानी और ओंगी क्षेत्रों की सूची प्रशासन को दी। इसमें से पांच स्थान आरक्षित वन क्षेत्र में हैं, जहां भूमि हस्तांतरण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति जरूरी है।

ओंगी में यूजेवीएनएल की भूमि

छठवां स्थान ओंगी में यूजेवीएनएल की भूमि है। इस भूमि में पहले ही सेना के लिए 10 नाली भूमि आरक्षित है, जबकि बचे हुए 40 नाली भूमि में पुनर्वास करना कठिन माना जा रहा है।

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वन क्षेत्र और ईको-सेंसिटिव जोन की चुनौती

पांच वन क्षेत्र प्रशासन को भूमि हस्तांतरण में असमर्थता जताने की वजह है। यह क्षेत्र ईको-सेंसिटिव जोन में आता है और वहाँ भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया लंबी और जटिल है। प्रशासन ने अभी तक इन प्रस्तावित स्थानों पर निर्णय नहीं लिया है और अधिकारियों के साथ बैठक कर अंतिम निष्कर्ष निकालने की कोशिश जारी है।

प्रशासन और ग्रामीणों की चर्चा

डीएम प्रशांत आर्य ने बताया कि ग्रामीणों के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा प्रशासन ग्रामीणों से धराली गांव और सात ताल के आसपास की भूमि पर बसने की संभावना पर भी चर्चा कर रहा है।

उत्तरकाशी के धराली गांव आपदा (सोर्स- गूगल)

ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि उनके पास पुनर्वास के लिए सीमित विकल्प हैं। प्रधान अजय नेगी ने कहा, “ओंगी में भूमि सीमित है और वन क्षेत्र में प्रक्रिया लंबी है। प्रशासन की ओर से कोई त्वरित समाधान नहीं मिलने से चिंता बढ़ रही है।”

पहली आपदा और वर्तमान स्थिति

5 अगस्त को खीर गंगा में आए 20 से 25 फीट मलबे ने कई बहुमंजिला भवन और होटल जमींदोज कर दिए थे। कई लोग जिंदा दफन हुए। आपदा के ढाई महीने बाद भी प्रभावित परिवारों का पुनर्वास पूरा नहीं हो पाया है।

यह पहली खबर में भी उठाया गया था कि ग्रामीणों को भूमि उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए चुनौती है। वर्तमान में प्रशासन और ग्रामीणों के बीच अंतिम समाधान निकालने की कोशिश चल रही है।

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आगे की प्रक्रिया

1. प्रशासन वन और पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेकर पांच वन क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर काम करेगा।
2. ओंगी में यूजेवीएनएल की भूमि पर पुनर्वास के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं।
3. ग्रामीणों को तुरंत राहत देने के लिए अन्य वैकल्पिक स्थल और स्थानीय भूमि पर बसाने पर भी विचार किया जा रहा है।
4. अधिकारियों की बैठक नियमित रूप से हो रही है और प्रभावित परिवारों को जल्द समाधान देने का प्रयास जारी है।

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