Uttarakhand: टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में तैनात होंगे अग्निवीर, बाघों को मिलेगा संरक्षण

अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में बाघ संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में स्थापित की जा रही टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में उत्तराखंड के अग्निवीरों को सीधी तैनाती दी जाएगी।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 30 July 2025, 12:41 PM IST

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में बाघ संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में स्थापित की जा रही टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में उत्तराखंड के अग्निवीरों को सीधी तैनाती दी जाएगी।

इस फोर्स में 80 से अधिक प्रशिक्षित युवाओं की भर्ती होगी, जिनका मुख्य कार्य बाघों और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा को और मजबूत बनाना होगा।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस कदम से न केवल बाघों के अवैध शिकार पर रोक लगेगी बल्कि वन्यजीव अपराधों, लकड़ी की तस्करी और अवैध खनन जैसी गतिविधियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रशिक्षित अग्निवीर जंगलों में गश्त करेंगे, खुफिया जानकारी जुटाएंगे और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा यह फोर्स मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में भी सहयोग करेगी।

सीएम धामी ने कहा कि अग्निवीर भारतीय सेना के कड़े प्रशिक्षण से गुजर चुके होते हैं। उनकी रणनीतिक योजना, अनुशासन और आधुनिक तकनीक के उपयोग की दक्षता उन्हें वन्यजीव संरक्षण जैसे चुनौतीपूर्ण कार्यों के लिए उपयुक्त बनाती है।

उन्होंने कहा कि आधुनिक ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और जीपीएस ट्रैकिंग से लैस यह फोर्स बाघ संरक्षण में नई तकनीकी क्षमताओं के साथ काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उत्तराखंड के स्थानीय अग्निवीरों को तैनात करने से उन्हें स्थानीय भूगोल, मौसम और जंगलों की चुनौतियों की गहरी समझ होगी, जिससे कार्यक्षमता बढ़ेगी।

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इस पहल से अग्निपथ योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे और उनका राष्ट्र सेवा का जज्बा वन्यजीव संरक्षण में नई ऊर्जा भरेगा।

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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व देश के सबसे महत्वपूर्ण बाघ आवासों में से एक है। नए बल की तैनाती से इसकी सुरक्षा व्यवस्था पहले से ज्यादा मजबूत होगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि यह मॉडल सफल रहता है तो इसे देश के अन्य बाघ अभयारण्यों में भी लागू किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण को नई दिशा और गति मिलेगी।

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Published : 
  • 30 July 2025, 12:41 PM IST