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पिथौरागढ़ में जागरूकता की अनोखी पहल, प्राकृति के प्रति दिया ये खास संदेश

पिथौरागढ़ में आयुष विभाग ने सीड राखियों का वितरण किया, जो पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देती हैं। ये राखियाँ राखी के बाद मिट्टी में बोई जा सकती हैं, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का संदेश देती हैं।
Post Published By: Tanya Chand
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पिथौरागढ़ में जागरूकता की अनोखी पहल, प्राकृति के प्रति दिया ये खास संदेश

Pithoragarh: प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयुष विभाग, पिथौरागढ़ द्वारा आज राजकीय इंटर कॉलेज, गौरीहाट में सीड राखियों का वितरण किया गया। यह कार्यक्रम प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक प्रभावशाली पहल के रूप में सामने आया है।

सीड राखी की विशेषता यह है कि इनमें बीज होते हैं, जिन्हें राखी बांधने के बाद मिट्टी में बोया जा सकता है। ये राखियाँ न केवल भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की प्रतीक हैं, बल्कि एक हरित और टिकाऊ भविष्य का संदेश भी देती हैं।

जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. चंद्रकला भैसोड़ा ने कार्यक्रम में बताया कि प्रकृति संरक्षण का अर्थ है पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रक्षा करना और उनका विवेकपूर्ण उपयोग करना। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये संसाधन भविष्य में भी उपलब्ध रहें।

आयुष विभाग पिथौरागढ़ द्वारा “सीड राखियों” का वितरण

प्रकृति संरक्षण क्यों आवश्यक है?
1. स्वस्थ जीवन के लिए: पर्यावरण हमें शुद्ध हवा, साफ पानी और पोषणयुक्त भोजन देता है। इसका संरक्षण सीधे हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है।
2. प्राकृतिक संतुलन के लिए: हर जीव और तत्व एक-दूसरे पर निर्भर है। प्रकृति का संतुलन जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है।
3. भविष्य की पीढ़ियों के लिए: यदि संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया गया तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए कुछ नहीं बचेगा। अभी संरक्षण करके ही हम उन्हें एक सुरक्षित दुनिया दे सकते हैं।

आज राजकीय इंटर कॉलेज, गौरीहाट में आयोजन

त्योहार से प्रेरित पर्यावरण प्रेम
सीड राखी एक प्रतीकात्मक और व्यावहारिक पहल है, जो बच्चों और युवाओं में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने में सहायक है। गौरतलब है कि इसी क्रम में कल (07 अगस्त 2025) एक अन्य कार्यक्रम स्टेफोर्ड पब्लिक स्कूल, पिथौरागढ़ में मेयर श्रीमती कल्पना देवलाल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था, जिसने इस पहल को जनजागरूकता तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। त्योहारों में भी पर्यावरण का संदेश यह पहल हमें सिखाती है कि हर उत्सव, संरक्षण का अवसर हो सकता है।

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