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धनपुरा में दरगाह को लेकर भूमि विवाद गहराया, ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप

हरिद्वार जनपद के बहादराबाद थाना क्षेत्र के धनपुरा गांव में स्थित ऐतिहासिक दरगाह हजरत सैयद बाबा मंसूर अली शाह एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई है। प्रशासन द्वारा इस दरगाह को अतिक्रमण मानते हुए नोटिस जारी करने के बाद गांव में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन के दावे को पूरी तरह से गलत बताते हुए इसे धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार करार दिया है।
Post Published By: Poonam Rajput
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धनपुरा में दरगाह को लेकर भूमि विवाद गहराया, ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप

Haridwar: हरिद्वार जनपद के बहादराबाद थाना क्षेत्र के धनपुरा गांव में स्थित ऐतिहासिक दरगाह हजरत सैयद बाबा मंसूर अली शाह एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई है। प्रशासन द्वारा इस दरगाह को अतिक्रमण मानते हुए नोटिस जारी करने के बाद गांव में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन के दावे को पूरी तरह से गलत बताते हुए इसे धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार करार दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   ग्रामीणों का कहना है कि यह दरगाह खसरा नंबर 231 के अंतर्गत आती है, जो कब्रिस्तान की भूमि है। यह भूमि उत्तराखंड बफ बोर्ड में UKHD 3305 क्रमांक पर विधिवत रूप से दर्ज और पंजीकृत है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह स्थान वर्षों से गांव के लोगों की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है और यहां हर वर्ष उर्स समेत कई धार्मिक आयोजन होते हैं।

वहीं दूसरी ओर प्रशासन का कहना है कि दरगाह खसरा नंबर 234 के अंतर्गत आती है, जो रिकॉर्ड में तालाब के रूप में दर्ज है। इसी आधार पर इसे अतिक्रमण बताया गया है। इसी भ्रम की स्थिति ने विवाद को और जटिल बना दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना सटीक भूमि सर्वेक्षण के दरगाह को अवैध घोषित कर दिया है, जो गंभीर लापरवाही है और इससे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पूर्व में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा कब्रिस्तान की चारदीवारी के निर्माण के दौरान भी इस मजार की वैधता को स्वीकार किया गया था। ऐसे में अचानक इसे अवैध बताना किसी साजिश से कम नहीं है। इसी को लेकर गांव के लोगों ने एसडीएम हरिद्वार को ज्ञापन सौंपा है और निष्पक्ष भूमि सर्वेक्षण कराने की मांग की है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि इस सर्वेक्षण में बफ बोर्ड, राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाए ताकि सही तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष निर्णय लिया जा सके। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने न्याय संगत निर्णय नहीं लिया तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, लेकिन गांव में माहौल संवेदनशील बना हुआ है।

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