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Dehradun News: डोईवाला में किसान के खेत से काटे गए 50 यूकेलिप्टस हरे पेड़, विद्युत विभाग पर गंभीर आरोप

डोईवाला के माजरी ग्रांट में किसान के खेत से 40-50 हरे यूकेलिप्टस के पेड़ काटे गए। किसान ने विद्युत विभाग पर आरोप लगाया कि यह कार्य विभाग के इशारे पर हुआ, क्योंकि विद्युत पोल शिफ्ट करने के लिए उसने पहले पत्र लिखा था।
Post Published By: Tanya Chand
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Dehradun News: डोईवाला में किसान के खेत से काटे गए 50 यूकेलिप्टस हरे पेड़, विद्युत विभाग पर गंभीर आरोप

Dehradun: डोईवाला के माजरी ग्रांट क्षेत्र में एक किसान के खेत से बीती रात करीब 40 से 50 हरे यूकेलिप्टस के पेड़ काटे गए। ये पेड़ करीब डेढ़ से दो वर्ष पुराने थे और किसान ने इन्हें खेती के लिए खुद अपने खेतों में लगाया था। किसान ने बताया कि देर रात कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा इन पेड़ों को काटकर वहां से ले जाया गया। जब सुबह किसान ने खेत में जाकर देखा, तो उसे इस घटना का पता चला।

विद्युत विभाग पर आरोप
किसान ने बताया कि यह पेड़ विद्युत लाइन के नीचे लगाए गए थे और उसे शक है कि यह कार्य विद्युत विभाग के इशारे पर किया गया है। किसान का आरोप है कि जिस स्थान से पेड़ काटे गए हैं, वहां की विद्युत लाइन कई वर्षों से बंद है। इसके अलावा, किसान ने यह भी बताया कि उनके खेत से आगे स्थित जमीन पर प्रॉपर्टी डीलर द्वारा प्लॉटिंग की गई है और इस कारण विद्युत विभाग ने पिछले कुछ समय में खेतों के पास के विद्युत पोलों को शिफ्ट किया था।

विद्युत विभाग को लिखा था पत्र
किसान ने कुछ दिन पहले विद्युत विभाग को पत्र लिखकर पोल शिफ्ट करने की मांग की थी, लेकिन विद्युत विभाग ने उसकी मांग को नकारते हुए, खेतों से पेड़ काटने का कदम उठाया। इस घटना के बाद किसान ने विद्युत विभाग के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।

किसान को हुआ भारी नुकसान
किसान ने शासन और प्रशासन से अनुरोध किया है कि उसे हुए नुकसान की भरपाई की जाए और इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए। उसने आरोप लगाया कि विद्युत विभाग ने उसकी जमीन से पेड़ काटकर बिना किसी उचित कारण के उसका नुकसान किया है, जबकि अगर पोल शिफ्ट कर दिए जाते, तो यह समस्या पैदा ही नहीं होती।

किसान उच्च अधिकारियों से करेंगे संपर्क
किसान ने यह भी कहा कि वह आगे इस मामले को लेकर उच्च अधिकारियों से भी संपर्क करेंगे और न्याय मिलने तक संघर्ष करते रहेंगे। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कौन से कदम उठाता है और किसान को कब और कैसे न्याय मिलता है।

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