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Raebareli ITI महाप्रबंधक का वीडियो वायरल, नारेबाजी के बाद पुलिस तक पहुंचा मामला

आईटीआई महाप्रबंधक का वीडियो वायरल होने के बाद अब प्रशासनिक प्रशिक्षण की मांग करते हुए कर्मचारी संगठन ने उन्हें हटाने की मांग की है। अब औद्योगिक अनुशासन से आगे बढ़कर एक संस्थागत संकट और प्रशासनिक परीक्षण का विषय बन चुका है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के जिलाध्यक्ष और आईटीआई मजदूर संघ के सभापति चंद्र मोहन सिंह द्वारा दर्ज कराने के लिए दी गई पुलिस में शिकायत के बाद अब इंटक से जुड़े आईटीआई लिमिटेड श्रमिक संघ के अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष वी. के. शुक्ला भी इस प्रकरण में सामने आ गए हैं।
Post Published By: Rohit Goyal
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Raebareli ITI महाप्रबंधक का वीडियो वायरल, नारेबाजी के बाद पुलिस तक पहुंचा मामला

Reabareli: रायबरेली आईटीआई लिमिटेड इकाई के महाप्रबंधक राजीव कुमार श्रीवास्तव का वायरल वीडियो, जिसमें देश के जनप्रतिनिधियों, संत समाज और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति कथित अशोभनीय व धमकीपूर्ण भाषा का इस्तेमाल सामने आया है, अब औद्योगिक अनुशासन से आगे बढ़कर एक संस्थागत संकट और प्रशासनिक परीक्षण का विषय बन चुका है। फिलहाल हम इस वायरल वीडियो की तकनीकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के जिलाध्यक्ष और आईटीआई मजदूर संघ के सभापति चंद्र मोहन सिंह द्वारा दर्ज कराने के लिए दी गई पुलिस में शिकायत के बाद अब इंटक से जुड़े आईटीआई लिमिटेड श्रमिक संघ के अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष वी. के. शुक्ला भी इस प्रकरण में सामने आ गए हैं। दोनों संगठनों ने महाप्रबंधक के खिलाफ स्थानीय मिल एरिया थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर दी है। दोनों श्रमिक संघ ने जीएम के तत्काल पदमुक्त करने और निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग करते हुए प्रशासन, मंत्रालय और बेंगलुरु मुख्यालय को पत्र भेजे हैं।

चंद्र मोहन सिंह ने अपने बयान में कहा है कि वीडियो को एडिटेड बताना जीएम सत्य को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी निर्दोष हैं तो उनके पिछले छह माह के कार्यालय रिकॉर्ड, बैठक की वीडियो रिकार्डिंग और आवाज की फॉरेंसिक जांच कराई जाए।

वीके शुक्ला ने कहा कि अधिकारी चोर हैं’ जैसी भाषा सामाजिक सौहार्द, धार्मिक विश्वास और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाली है। यह प्रकरण अब अनुशासनहीनता नहीं, औद्योगिक संस्कृति के अपमान का विषय है। उन्होंने वायरल वीडियो में मानव संसाधन विभाग के उपमहाप्रबंधक ए.एन. सिंह की चुप्पी को भी गंभीरता से लिया और इसे संस्थागत लापरवाही करार दिया।

विवाद की गंभीरता तब और बढ़ गई जब वीके शुक्ला ने इसे राष्ट्रविरोधी विचारधारा से प्रेरित करार देते हुए कहा कि ऐसे विचार किसी भी प्रतिष्ठान की दीर्घकालिक साख को नष्ट करने में सक्षम हैं। यदि अधिकारी पद पर बने रहते हैं, तो जांच प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है। दो दिन बीत जाने के बावजूद आईटीआई प्रबंधन, यूनिट हेड या विभागीय स्तर से कोई आधिकारिक बयान, खंडन या प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं वीडियो की तकनीकी सत्यता की पुष्टि भी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। यह प्रकरण औद्योगिक संस्थान की गरिमा, श्रमिक विश्वास और सामाजिक संतुलन की रक्षा का प्रश्न बन गया है।

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