हिंदी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एटा सांसद देवेश शाक्य को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया। यह फैसला पार्टी संगठन को मजबूत करने और दोनों राज्यों में राजनीतिक विस्तार की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
Lucknow: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संगठन को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उनके अनुमोदन से लोकसभा क्षेत्र एटा (उत्तर प्रदेश) से सांसद देवेश शाक्य को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार और आगामी राजनीतिक रणनीति को सशक्त करने के उद्देश्य से की गई है।
इस संबंध में समाजवादी पार्टी की ओर से 24 दिसंबर 2025 को औपचारिक आदेश जारी किया गया। आदेश पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के निजी सचिव गंगाराम के हस्ताक्षर हैं। जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि देवेश शाक्य को मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में संगठनात्मक गतिविधियों, जनसंपर्क, पार्टी विस्तार और चुनावी तैयारियों की संपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
देवेश शाक्य समाजवादी पार्टी के एक सक्रिय, कर्मठ और जमीनी नेता माने जाते हैं। वे वर्तमान में एटा लोकसभा सीट से सांसद हैं और पार्टी संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। उनकी इस नई जिम्मेदारी को पार्टी के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे दोनों राज्यों में समाजवादी पार्टी को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में संगठन को पुनर्गठित करने, बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और स्थानीय मुद्दों को मजबूती से उठाने पर विशेष जोर दिया जाएगा। शाक्य दोनों राज्यों में लगातार दौरे कर संगठनात्मक बैठकें करेंगे और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद स्थापित करेंगे।
इस नियुक्ति की प्रतिलिपि सूचना एवं आवश्यक कार्यवाही के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव, नई दिल्ली को भेजी गई है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्षों को भी आदेश की जानकारी दी गई है। स्वयं देवेश शाक्य को भी प्रभारी बनाए जाने की सूचना आधिकारिक रूप से प्रेषित की गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की रणनीति का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश के बाहर पार्टी का संगठन मजबूत करना लंबे समय से पार्टी नेतृत्व की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। ऐसे में देवेश शाक्य जैसे अनुभवी सांसद को यह जिम्मेदारी देना एक सोचा-समझा निर्णय माना जा रहा है।