Lucknow: उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों के कामकाज और मरीजों से मिलने वाली शिकायतों पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष ने आदेश जारी किया है कि अब शिकायत मिलने पर डॉक्टरों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी।
निलंबन की तैयारी
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 15 नवंबर के बाद शिकायतों के आधार पर डॉक्टरों को सीधे निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य मरीजों की समस्याओं का समाधान करना और सरकारी अस्पतालों में अनुशासन बनाए रखना है।
टीमों का गठन
स्वास्थ्य विभाग कई टीमों का गठन करेगा। ये टीमें लखनऊ समेत अन्य जिलों के सीएचसी, पीएचसी और सरकारी अस्पतालों में जाकर मरीजों से फीडबैक लेंगी। ओपीडी में डॉक्टर के न मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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बाहर की दवाइयां लिखने पर सख्ती
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की शिकायतें मिली हैं कि कुछ डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिखते हैं, जबकि अस्पताल में पर्याप्त सरकारी दवाइयां मौजूद होती हैं। अब स्वास्थ्य विभाग इस पर भी सख्ती बरतेगा। डॉक्टरों को अस्पताल में उपलब्ध दवाइयों का उपयोग सुनिश्चित करना होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवाइयां लिखने वाले डॉक्टरों पर सख्त कदम उठाया। 15 नवंबर के बाद शिकायतों पर डॉक्टरों के खिलाफ सीधे कार्रवाई और निलंबन होगा।#UPHealthUpdate #DoctorsAction #GovernmentHospitals #UPNews pic.twitter.com/3k7gX0jW6d
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 7, 2025
मरीजों का फीडबैक अहम
टीमों का मुख्य काम मरीजों से फीडबैक लेना होगा। यह देखा जाएगा कि डॉक्टर समय पर ओपीडी में मौजूद हैं या नहीं, और क्या उन्हें उचित दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। फीडबैक की रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई होगी।
सरकारी अस्पतालों में सुधार की दिशा
सरकार का लक्ष्य सरकारी अस्पतालों में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ाना है। इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। डॉक्टरों को भी अपने जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क रहने का संदेश जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग का आदेश
आदेश में कहा गया है कि विभाग के अधिकारी और टीमें नियमित रूप से अस्पतालों का निरीक्षण करेंगी। ओपीडी में अनुपस्थित डॉक्टरों और मरीजों की शिकायतों पर तुरंत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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नकारात्मक प्रथाओं को रोकना
बाहर की दवाइयां लिखने की प्रथा को रोकने के लिए अस्पतालों में कड़ी निगरानी रखी जाएगी। डॉक्टरों को अस्पताल में उपलब्ध सरकारी दवाइयों के इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
मरीजों की सुविधा और विश्वास
सरकार का उद्देश्य मरीजों को सरकारी अस्पतालों पर भरोसा दिलाना है। मरीजों को सरकारी दवाइयां उपलब्ध कराना, डॉक्टर समय पर ओपीडी में होना और शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करना प्राथमिकता होगी।

