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उत्तर प्रदेश भाजपा को अगले 48 घंटों में नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। 14 दिसंबर को पार्टी अपना 18वां प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी। संगठन चुनाव प्रभारी डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय द्वारा निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर भाजपा नेतृत्व प्रदेश की कमान किसे सौंपेगा।
यूपी भाजपा अध्यक्ष को लेकर बड़ा अपडेट
Lucknow: उत्तर प्रदेश भाजपा को अगले 48 घंटों में नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। 14 दिसंबर को पार्टी अपना 18वां प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी। संगठन चुनाव प्रभारी डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय द्वारा निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर भाजपा नेतृत्व प्रदेश की कमान किसे सौंपेगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े भी लखनऊ पहुंच रहे हैं, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि उच्च नेतृत्व ने नाम लगभग तय कर लिया है। अगले अध्यक्ष के चयन में भाजपा की नजर सीधे 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव पर है।
पार्टी के भीतर चर्चा में अधिकांश नाम ओबीसी वर्ग के नेताओं के हैं। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) एजेंडे को टक्कर देने के लिए भाजपा ओबीसी समुदाय से ही अध्यक्ष चुनना चाहती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर समुदाय से हैं और विपक्ष लगातार इस आधार पर उन पर निशाना साधता रहा है। ऐसे में भाजपा के नए अध्यक्ष के गैर-ठाकुर, गैर-ऊंची जाति से होने की संभावना सबसे अधिक है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा का सबसे प्रभावशाली ओबीसी चेहरा माना जाता है। कोइरी/कुशवाहा समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ है और संगठन चलाने का लंबा अनुभव भी उनके पक्ष में जाता है। 2017 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के समय वे प्रदेश अध्यक्ष थे। बिहार चुनाव में सह-प्रभारी रहते हुए उनकी रणनीति की भी सराहना हुई। इसलिए इन्हें शीर्ष दावेदार माना जा रहा है।
केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी पूर्वांचल के कुर्मी वोट बैंक में प्रभावशाली हैं। अनुप्रिया पटेल के प्रभाव को संतुलित करने और ओबीसी मतदाताओं पर पकड़ बढ़ाने के लिए उनका नाम प्रमुखता से उभर रहा है।
योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता था। उन्हें संगठन और सत्ता दोनों का अनुभव है, जो उन्हें गंभीर दावेदार बनाता है।
लोधी समुदाय को साधने के लिए भाजपा बीएल वर्मा या कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह पर दांव लगा सकती है। कल्याण सिंह के बाद इस समुदाय को नेतृत्व में महत्व देना भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
निषाद समुदाय से आने वाली केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति महिला नेतृत्व, ओबीसी प्रतिनिधित्व और हिंदुत्व के संतुलन के कारण सबसे खास विकल्पों में हैं। उनका चयन भाजपा को नए सामाजिक संदेश देने में मदद करेगा।
यदि पार्टी ब्राह्मण चेहरे को चुनती है, तो डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा सबसे प्रमुख नाम माने जा रहे हैं। भाजपा का फैसला अब सिर्फ औपचारिक घोषणा से दूर है। सभी की निगाहें लखनऊ की ओर टिकी हैं।