Vrindavan: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में इस माह एक विशेष आध्यात्मिक आयोजन हो रहा है, जिसे धर्म और राष्ट्रभक्ति के अद्भुत संगम के रूप में देखा जा रहा है। 15 से 21 सितंबर के बीच केशव नगर स्थित केशव धाम में 7 दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। यह कथा हाल ही में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए जवानों को समर्पित होगी।
मुख्य यजमान राकेश शुक्ला, कथावाचक साध्वी सरस्वती दीदी
इस पावन कथा के मुख्य यजमान मध्यप्रदेश सरकार के नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला हैं, जबकि कथा का वाचन प्रसिद्ध साध्वी सरस्वती दीदी करेंगी। साध्वी दीदी ने जानकारी दी कि मंत्री राकेश शुक्ला की ओर से ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए जवानों के परिजनों को 51,000 रुपये की सहयोग राशि भी प्रदान की जाएगी।
मंत्री ने क्या कहा?
मंत्री शुक्ला ने विनम्रता पूर्वक कहा, “इस कथा का वास्तविक आयोजन सरस्वती दीदी कर रही हैं। मैं तो केवल एक निमित्त हूं। यह आयोजन राष्ट्र की रक्षा में शहीद हुए वीरों के सम्मान में है।”
श्रद्धांजलि में होगा तर्पण
21 सितंबर को ‘सर्व पितृ अमावस्या’ के दिन सुबह 8 बजे वृंदावन के केशी घाट पर तर्पण का आयोजन किया जाएगा। यह तर्पण पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 27 निर्दोष नागरिकों की आत्मा की शांति के लिए किया जाएगा। इसके बाद दोपहर 1 बजे एक विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम होगा, जिसमें शहीदों और मृतकों के परिजन भी शामिल होंगे।
कथा का व्यापक प्रचार, नेताओं को भेजे जा रहे आमंत्रण
कथा के प्रचार-प्रसार के लिए मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं। जिनमें भोपाल, ग्वालियर, भिंड और कानपुर प्रमुख हैं। मंत्री राकेश शुक्ला की ओर से मप्र के अन्य मंत्रियों, विधायकों और भाजपा नेताओं को व्यक्तिगत आमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। इस कथा के माध्यम से देशभर के नागरिकों को एक संदेश दिया जा रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ बंदूकों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरण से भी लड़ी जा सकती है।
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क्या था पहलगाम आतंकी हमला?
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 लोगों की जान चली गई थी। जिसमें 25 भारतीय पर्यटक, एक नेपाल का नागरिक और एक यूएई का नागरिक शामिल था। यह हमला पुलवामा अटैक के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना गया था। हमले की जिम्मेदारी पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।

