गोरखपुर का त्रेतायुगीन धाम: बाबा धवलेश्वरनाथ मंदिर, जहां श्रीराम ने स्वयं स्थापित किया था शिवलिंग

गोरखपुर के उरुवा ब्लॉक स्थित बाबा धवलेश्वरनाथ मंदिर श्रावण माह में श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना त्रेतायुग में श्रीराम ने की थी। यह मंदिर धार्मिक, ऐतिहासिक और रहस्यमयी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 July 2025, 9:52 AM IST

Gorakhpur: गोरखपुर श्रावण माह में जब भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है, तब गोरखपुर जनपद के दक्षिणांचल में स्थित बाबा धवलेश्वरनाथ धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है। उरुवा ब्लॉक के ग्राम धुरियापार से सटे कुआनों नदी के किनारे स्थित यह अति प्राचीन शिव मंदिर हजारों वर्षों की धार्मिक, ऐतिहासिक और रहस्यमयी विरासत समेटे हुए है।

श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग की अनूठी मान्यता

डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय मान्यता है कि यह शिवलिंग त्रेतायुगीन है और इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने जनकपुर से लौटते समय की थी। अब जब राम-जानकी मार्ग का निर्माण अयोध्या से जनकपुर तक हो रहा है, तब यह मंदिर भी पवित्र मार्ग की कड़ी बनकर और अधिक महत्व पा रहा है।

कुआनों किनारे स्थित दिव्य धाम

धवलेश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग खुले आसमान के नीचे है। परंपरा के अनुसार, इस शिवलिंग पर कभी भी छत नहीं डाली जाती। श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी सच्चे मन से बाबा का जलाभिषेक करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में वही पुजारी टिकता है जो धन संग्रह न करता हो और यह परंपरा आज भी कायम है।

तीन हजार वर्ष पुराना इतिहास

स्थानीय बरिष्ट नागरिक वृजनाथ त्रिपाठी ने बताया वर्ष 1980-81 में पुरातत्व विभाग द्वारा कराई गई खुदाई में इस स्थल के इतिहास को 3500 वर्ष से भी अधिक पुराना माना गया। यह स्थल कभी राजा धुर्यचंद की राजधानी ‘धुरियापार स्टेट’ के अंतर्गत आता था और उसी राजा के काल से इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना हो रही है।

अंग्रेज भूगर्भशास्त्री की रहस्यमयी मौत

माना जाता है कि अंग्रेज काल में एक भूगर्भशास्त्री ने यहां जलाभिषेक की दिशा देखकर शोध की अनुमति मांगी। छह माह तक शोध के बाद उसने दावा किया कि मंदिर के नीचे असीम खजाना छिपा है। लालच में अंग्रेज अधिकारियों ने मंदिर उड़ाने की कोशिश की, लेकिन मजदूरों के खून से नदी लाल हो गई और शिवलिंग अडिग रहा। इसके बाद वह भूगर्भशास्त्री पागल हो गया और अंततः कुआनों नदी में कूदकर उसने आत्महत्या कर ली।

तीर्थस्थल के रूप में विकास की दरकार

स्थानीय लोग चाहते हैं कि बाबा धवलेश्वरनाथ धाम को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित कर उसका समुचित विकास किया जाए। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी ऐतिहासिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और चमत्कारों के कारण राष्ट्रीय धरोहर बनने की पात्रता रखता है। धवलेश्वरनाथ मंदिर आज भी अपने उत्थान की राह देख रहा है। श्रीराम की स्मृतियों से जुड़ा यह स्थल, श्रद्धा, चमत्कार और इतिहास का अद्भुत संगम है, जो न केवल गोरखपुर बल्कि पूरे पूर्वांचल की धार्मिक विरासत को नई पहचान दे सकता है।

Location : 
  • Gorakhpur

Published : 
  • 29 July 2025, 9:52 AM IST