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आज़मगढ़ के एक छोटे से गांव में गूंजने लगी शिक्षा की बड़ी आवाज़, बासूपार बनकट बना आदर्श का प्रतीक

आजमगढ़ में आज शिक्षा का विकास हुआ है, जहां अब बच्चों को एक बेहतरीन शिक्षा मिलने वाली है। जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
Post Published By: Tanya Chand
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आज़मगढ़ के एक छोटे से गांव में गूंजने लगी शिक्षा की बड़ी आवाज़, बासूपार बनकट बना आदर्श का प्रतीक

आज़मगढ़: जहां एक ओर देश के कई सरकारी स्कूल बदहाली के आँसू रो रहे हैं, वहीं आज़मगढ़ के बासूपार बनकट का प्राथमिक विद्यालय उम्मीद की एक चमकती किरण बनकर उभरा है। एक ऐसा स्कूल जहाँ सिर्फ दीवारें नहीं, सपने बोलते हैं। जहाँ किताबों में सिर्फ अक्षर नहीं, भविष्य लिखा जा रहा है।

स्कूल रूम में लगी एसी
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ग्राम प्रधान सिद्दीका परवीन अब्दुल वहाब और विद्यालय के शिक्षकों की साझा मेहनत ने इस साधारण से विद्यालय को असाधारण बना दिया है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि अगर नियत साफ हो, तो साधनों की कमी भी विकास की राह नहीं रोक सकती है। आज इस स्कूल में हर कक्षा में एसी लगा है, बच्चों की आँखों में प्रोजेक्टर की रौशनी है, और ज्ञान वाई-फाई की रफ्तार से उड़ान भर रहा है। हर कोना सीसीटीवी की निगरानी में है, ताकि हर बच्चा महफूज़ रहे, और हर अभिभावक मोबाइल पर अपने बच्चे की शिक्षा यात्रा का हिस्सा बन सके।

स्कूल में मौजूद है कई सारी सुविधाएं
भूख नहीं, अब बच्चों को सपनों का खाना मिलता है। एक साफ-सुथरा किचन, पोषणयुक्त भोजन, और रूटीन के अनुसार एमडीएम – हर व्यवस्था में मानवीय संवेदना और मातृत्व की झलक दिखती है। विद्यालय की दीवारें अब सिर्फ ईंटें नहीं, इतिहास बन गई हैं — महापुरुषों की तस्वीरें, प्रेरणास्पद स्लोगन, और हरियाली से लिपटी दीवारें इस बात की गवाही देती हैं कि यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बदलाव की प्रयोगशाला है। विद्यालय में एक सुंदर और उपयोगी पुस्तकालय की स्थापना की गई है, जहाँ से गांव के बच्चे अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। यह केवल एक कमरा नहीं, बल्कि सैकड़ों सपनों की पाठशाला है — जो किसी दिन इन बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या प्रशासक बना सकती है।

शिक्षकों ने खाई कमस पढ़ाना है मिशन
शिक्षकों ने भी कसम खा ली है — पढ़ाना ही मिशन है, समय पर आना ही धर्म है। वे बच्चों को न सिर्फ पढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें जीवन के लिए तैयार कर रहे हैं। ग्राम प्रधान और शिक्षकों के इस साझा प्रयास की खुशबू अब दूर-दराज़ तक फैल रही है। इस प्रेरक प्रयास को देखने के लिए गाँव और आसपास के इलाकों से लोग आने लगे हैं।

अब्दुल वहाब का बयान
हाल ही में आसिफ सल्लू (विधानसभा गोपालपुर), नेसार खान भोला, आमिर खान सहित कई गणमान्य लोग स्कूल पहुँचे और वृक्षारोपण कर इस बदलाव का हिस्सा बने। हसीब खान, अब्दुल कदीर शेख, अरशद खान, सोफियान खान, सुहेल अहमद, सेराज गुड्डु, फिरोज अहमद जैसे कई अन्य सजग नागरिक भी मौजूद रहे। हमने जब ग्राम प्रधान के पति अब्दुल वहाब से बात की तो उन्होंने कहा –हम नहीं चाहते कि हमारे गाँव का कोई भी बच्चा पीछे रह जाए, हम नहीं चाहते कि कोई सपना गरीबी की वजह से अधूरा रह जाए।” यह सिर्फ एक विद्यालय नहीं, एक आंदोलन है — शिक्षा का, सम्मान का, और समर्पण का।

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